
भारत एक विकासशील देश है जहां पर अत्याधुनिक तरह के उपकरण बनाने के साथ-साथ मेक इन इंडिया (MAKE IN INDIA) के तहत तरह-तरह के NEW प्रोडक्ट और नैनोटेक्नोलॉजी से युक्त एडवांस उपकरण बनाए जा रहे हैं, HAL (HINDUSTAN AERONAUTICS LIMITED ) भारत का सबसे पुराना ,और आधुनिकतम लड़ाकू विमान से लेकर छोटे ड्रोन तक को हमेशा से बनाता आ रहा है।
लेकिन कुछ पिछली समस्याओं के कारण इन सभी में कुछ ना कुछ कमियां देखी जा रही थी, इसी को ध्यान में रखकर भारत ने कई देशों जैसे अमेरिका ,रूस फ्रांस जैसे देशों से कई सारे आधुनिक विमान से लेकर छोटे उपकरण जैसे ड्रोन आदि की खरीद कर रहा है ,परंतु आपको बताते चलें कि हाल ही में भारत ने मानव रहित 30 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका से 3 अरब डॉलर का करार किया था , परंतु यह करार अब पूर्ण रूप से रद्द हो चुका है, भारत अब इन ड्रोन को खुद ही बनाएगा।
सूत्रों के मुताबिक इस जानकारी ने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन को यह सूचना दी गई है कि भारत इस तरह के हथियारों और उपकरणों का निर्माण और विकास अब स्वदेशी तकनीक पर करेगा। भारत में मेक इन इंडिया के तहत कई तरह के आधुनिक हथियार से लेकर लड़ाकू विमान, रेलगाड़ियां, कार्य, मिसाइलें. ड्रोन, खेती कृषि कार्य के लिए नए आधुनिकतम उपकरण जैसे अनेक प्रकार के उपकरणों को भारत में ही बनाया जा रहा है, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि भारत अब अपनी कौशल को और ज्यादा विस्तार रूप देना चाहता है और भारत में बनने वाले हर एक उपकरण को न सिर्फ भारत में उपयोग में लाया जाएगा साथ-साथ इनका विदेशों में भी इनका निर्यात किया जाएगा जिससे कि भारत की आर्थिक वृद्धि तीव्र हो और देश का नाम उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जो आज आधुनिकतम की दौड़ में अपने आप को सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।
प्रीडेटर ड्रोन क्यों है खास आओ जाने इसकी खूबियों को:
जहां तक प्रीडेटर ड्रोन का सवाल है यह ड्रोन सीमाई क्षेत्रों में दुश्मन की नापाक हरकतों की टोह आसानी से लगा लेता है ,और औरखुफिया जानकारी जुटाकर दुश्मन के ठिकानों पर हमला भी कर सकता है । यह ड्रोन इतना खास इसलिए भी है कि इसमें लगे सेंसर किसी भी समय, किसी भी मौसम में, अपने मिशन को अंजाम दे सकने में सक्षम हैं।
इस ड्रोन में लगे रडार सिस्टम इतने अत्याधुनिक हैं कि किसी भी राडार तकनीक को चकमा आसानी से देने में सक्षम है।यदि ड्रोन की बात की जाए तो यह 35 घंटे तक आसमान में खड़े रहकर दुश्मनों के हर एक कार्यों की सटीकता से जानकारी जुटा कर अपनी खुफिया एजेंसियों तक तुरंत पहुंचा देता है इतना ही नहीं यह आवश्यकता पड़ने पर किसी भी क्षण दुश्मन पर अटैक भी कर सकता है ,इन्हीं खूबियों के चलते भारत चाहता है कि भारत के भी पास 30 प्प्रीडेटर ड्रोन का एक समूह हो जिससे कि देश को आधुनिकतम सुरक्षा मिल सके।
अमेरिका के साथ कितने में तय हुआ था सौदा:
भारत ने अमेरिका के साथ 30 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का जो सौदा तय किया गया था उसकी कीमत 3 अरब डॉलर थी लेकिन हाल ही में आई रिपोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया गया कि भारत अब इस योजना के अंतर्गत खरीदे जाने वाले सभी 30 प्रीडेटर ड्रोन का सौदा रद्द कर दिया गया है, इसकी वजह भारत को इन DRONO में कुछ तकनीकी और सुरक्षा में सेंध लगाने जैसी घटनाओं को कम करने के लिए यह अहम निर्णय लेना पड़ा है, क्योंकि भारत के लिए यह एक अच्छा संकेत भी है क्योंकि कोई भी देश अपनी सुरक्षा में सेंध लगाकर कोई अहम जानकारी का फायदा दूसरा देश ना उठा सके इसलिए भारत ने इस पर पूर्ण रूप से रोक लगा दिया है।
भारत स्वदेशी तकनीक से मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही 3 अरब डॉलर से भी कम खर्च में इन 30 चालक रहित प्रिडेटर ड्रोन का निर्माण करने में सक्षम है, इसलिए भारत ने जो भी निर्णय किया है वह बहुत ही सराहनीय और देश हित में है, इससे ना सिर्फ केवल भारत आत्मनिर्भर देश बनेगा इसके साथ-साथ भारत में आधुनिक उपकरणों के निर्माण कि नई तकनीक का विकास होगा जिससे भारत के युवा रोजगार भी पाएंगे और भारत में बने उपकरणों का उपयोग न सिर्फ भारत कर पाएगा बल्कि विदेशों में भी इनका निर्यात कर भारत अपनी आर्थिक स्थिति का भी सुधार करेगा।
भारत को कितने पैसों की बचत होगी:
एक अनुमान के मुताबिक 3 अरब डॉलर का जो यह सौदा तय हुआ था उससे आधी कीमत में ही भारत इन 30 चालक रहित ड्रोन का निर्माण स्वदेशी तकनीक से कर लेगा ,और साथ में इनकी गुणवत्ता में भी भारत सुधार करने में सक्षम है क्योंकि मेक इन इंडिया के तहत भारत ने वह कर दिखाया है जो शायद ही कोई देश आज उपकरणों के हर क्षेत्र में कर पाता हो भारत अब पहले जैसा नहीं रहा यह सभी देश जानते हैं भारत में निर्मित आज आधुनिक मिसाइलों से लेकर भारत में बने आधुनिक एयरक्राफ्ट व अनेकों प्रकार के हथियारों का निर्माण आज भारत स्वदेशी तकनीक से करके विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है, भारत के युवाओं में जो कौशलता के गुण विद्यमान हैं वह भारत को न सिर्फ उन्नति के शिखर तक पहुंचाने में सक्षम हैं,बल्कि वह अपनी स्वदेशी तकनीक का परचम पूरी दुनिया पर लहराएंगे जिससे कि भारत एक दिन सभी देशों को पीछे छोड़ कर देश विश्व का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होगा।
भारत खुद ही बनाएगा प्रेडेटर ड्रोन:
आज का भारत आधुनिक भारत है। भारत अब एक विकसित राष्ट्र के रूप में सामने उभर कर आ रहा है, वर्तमान समय में करोना CORONA काल के संकट में भारत ने वह कर दिखाया है जिसको आज दुनिया सलाम कर रही है ,क्योंकि भारत में निर्मित वैक्सीन से लेकर हॉस्पिटल के हर एक उपकरण का जिस समय जरूरत थी भारत में उनका निर्माण कर दुनिया को यह साफ संदेश दे दिया कि भारत कुछ भी कर सकने में सक्षम है।
भारत में युवाओं की कुशलता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है ,भारत में मेक इन इंडिया के तहत सरकार भी चाहती है कि आधुनिकतम ड्रोन तकनीक को भारत में विकसित किया जाए और इसका हाल ही में उदाहरण सामने निकल कर आया है भारत में बनने जा रहे प्रीडेटर ड्रोन की लेटेस्ट और सबसे आधुनिकतम तकनीक से लैस भारत निर्मित स्वदेशी ड्रोन जो कि न सिर्फ हथियारों से लैस होकर भारत देश की रक्षा करेंगे बल्कि आवश्यकता पड़ने पर दवाओं से लेकर हथियारों के ट्रांसपोर्टेशन में भी अपना अहम योगदान देने वाले हैं ।
इसी को नजर में रखकर भारत सरकार ने अब ड्रोन तकनीक को विकसित करने का फैसला लिया है ,और अब भारत में ही निर्मित DRONO की नई खेप आने वाली है जोकि सेना नौसेना के लिए हर प्रकार से मददगार होंगे।
भारत में प्रीडेटर ड्रोन बनाने की क्षमता है ,यह सभी देश जानते हैं।
वर्तमान समय में भारत इजरायल के हेरान ड्रोन को अपग्रेड कर रहा है,प्रीडेटर टाइप के DRONO को हथियारों से लैस किया जा रहा है इसमें मिसाइलों लेजर निर्देशित बमों को निशाने पर लगाया जा रहा है, सशस्त्र पेलोड के साथ एक प्रिडेटर प्लेटफार्म की कीमत लगभग $100000000 है लेकिन भारत सरकार इसे भी करने में अग्रणी है ।
भारत चाहता है की इन DRONO को सुसज्जित करने में लगने वाले उपकरणों का समय जो 27 घंटे का है उसे भी कम करके इसको और तेज गति देने की मुहिम पर काम चल रहा है इस ड्रोन की तकनीक को लाने का सबसे बड़ा मकसद अदन की खाड़ी से इंडोनेशिया में सुंडा जलडमरूमध्य तक समुद्री निगरानी के लिए भारत सरकार इसका उपयोग कर सकती है।