बड़ी खबर( Big update News) :-
- नासा का सबसे बड़ा एस्ट्रोयड मिशन Mission DART सफल हुआ:-
- एस्ट्रोराइड और स्पेसक्राफ्ट की महा टक्कर
धरती पर महाप्रलय मचाने वाले एस्ट्रॉयड को नासा के वैज्ञानिकों ने अपने रॉकेट से करोड़ों किलोमीटर दूर इस उल्कापिंड ( डायफlर्मस्) जो की एक बड़े फुटबॉल मैदान के बराबर था, पर अपने राकेट से टक्कर (विस्फोट) करके इसकी दिशा को बदल कर पूरी मानव सभ्यता को नष्ट होने से कैसे बचाया है? आइए विस्तार से जानते हैं:-
धरती पर महाविनाश जैसा शब्द सुनते ही हम सबके रोंगटे खड़े हो जाते हैं ,लेकिन यह यथार्थ सत्य है की धरती पर बड़े-बड़े उल्का पिंडों एस्ट्रॉयड के टकराने से कई बार धरती पर महाप्रलय आ चुकी हैl, 2012 मे भी धरती पर एस्ट्रॉयड के टकराने से मानव सभ्यता के अंत की खबर से लोग इतना ज्यादा भयभीत हो गए थे कि न्यूज़ मीडिया से लेकर अखबारों तक में इसका जिक्र से उस समय लोगों के दिलों जहान, में डर समाया हुआ था, कि क्या वाकई में हमारी पृथ्वी पर मानव सभ्यता का अब अंत होने वाला है, लेकिन,इस बड़े उल्का पिंड का समुद्र में गिरने से किसी भी प्रकार की कोई बड़ी हानि नहीं हुई और लोगों ने चैन की सांस ली, लेकिन इतना ही नहीं आने वाले हर 1 साल में कोई ना कोई उल्का पिंड तब चिंता का सबब बन जाता है जब उसका आकार प्रकार ज्यादा बड़ा होता है और वह पृथ्वी के नजदीक से गुजरता है ऐसे में उसका धरती से टकराना मानव सभ्यता के लिए बहुत बड़ी खतरे की घंटी होती है।
समय-समय पर धरती से टकराने वाले इन उल्का पिंडों से कैसे छुटकारा पाया जाए इस पर दशकों से वैज्ञानिक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे जिसमें नासा के वैज्ञानिकों ने धरती से करोड़ों किलोमीटर दूर धरती की तरफ बढ़ रहे विशालकाय उल्कापिंड पर अपने रॉकेट से विस्फोट करके उसकी दिशा को बदल कर इतिहास में पहली बार ऐसा कारनामा कर के ना केवल मानव सभ्यता और धरती को बचाया है बल्कि आने वाले समय में इस तरह की किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए यह ऐसा ऐतिहासिक प्रयोग हुआ है जो कि आने वाले भविष्य में धरती की तरफ बढ़ रहे उल्का पिंडों को उनकी दिशा को बदल कर धरती को पूरी तरह से सुरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
इस मिशन की कुछ महत्वपूर्ण बातें आओ जाने:-
इस उल्कापिंड का नाम और इसका आकार:-
इस उल्कापिंड का नाम था ( डायफlर्मस्) जो की एक बड़े फुटबॉल मैदान के बराबर था, पिछले कुछ समय से यह उल्का पिंड करोड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा था जिसे NASA 🇺🇸🚀 के वैज्ञानिकों ने, धरती से लगभग 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर इस पर अपना विनाशक रॉकेट से, 22.5 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टक्कर और विस्फोट करके इस बड़े आकार के उल्का पिंड की दिशा को पूरी तरह बदल दिया है जो कि धरती की तरफ लगातार बढ़ रहा था। नासा के वैज्ञानिकों ने ऐसा करके इतिहास में पहली बार किसी बड़े उल्का पिंड को उसकी दिशा से भटका कर पृथ्वी से दूर करके ना सिर्फ पृथ्वी पर आने वाली महाप्रलय को डाला है बल्कि मानव सभ्यता को भी पूरी तरह से बचाने में बहुत बड़ा कार्य किया है।
NASA केइस पूरे मिशन में पूरे 10 महीने लगे:-
वैज्ञानिकों को जैसे ही पता चला कि फुटबॉल के मैदान के आकार के बराबर एक विशाल विशालकाय उल्का पिंड धरती की तरफ करोड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार बढ़ रहा है तभी से नासा के वैज्ञानिकों ने अपनी कमर कस ली और इसकी दिशा बदलने के लिए इस पर दिन रात काम करने लगे और अपने अथक परिश्रम और मेहनत की बदौलत 24 नवंबर 2021 को इस बड़े एस्ट्रॉयड की दिशा बदलने के लिए प्रक्षेपण यान लॉन्च कर दिया जोकि लगातार 10 महीनों तक का सफर करते हुए 26 सितंबर 2022 को डिफॉर्मर्स तक पहुंचने में सफल हुआ और इसके चीक कुछ घंटों बाद यानी 27 सितंबर 2022 की रात को यह इस विशालकाय ( डा य मोर्फस्) नामक उल्कापिंड से टकराकर उसकी दिशा को पूरी तरह से बदल कर इतिहास रच दिया जो कि अपने आप में अभी तक की सबसे बड़ी कामयाबी अंतरिक्ष क्षेत्र के खतरों से निपटने के लिए मानी जा रही हैl
इस बड़ी सफलता पर क्या कहा NASA🚀नासा के प्रमुख वैज्ञानिकों ने आओ जाने :-
27 सितंबर की रात जब हम लोग सो रहे थे तब धरती से करोड़ों किलोमीटर दूर नासा के वैज्ञानिक धरती की तरफ तेजी से बढ़ रहे एक विशालकाय उल्का पिंड की दिशा को बदलने के लिए अपने स्पेसक्राफ्ट की मदद से उस पर टक्कर करके उसकी दिशा बदल कर इतिहास रख रख चुके थे।
मीडिया के द्वारा पूछे गए कई प्रश्नों के उत्तर और उनके जवाब देते हुए संस्थान के प्रमुख लोरी ग्लेज, डायरेक्टर ऑफ नासा प्लेनेटरी साइंस डिवीजन की प्रमुख द्वारा कहा गया कि हम मानव जाति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं एक ऐसा युग जिसमें हम मानव सभ्यता को खतरनाक उल्का पिंड जैसी किसी भी चीज से आने वाले समय में खुद को बचाने की पूरी क्षमता रख सकेंगे । नासा के इस पूरे मिशन को सफल होने पर उन्होंने कहा क्या कमाल की बात है, हमारे पास इससे पहले यह क्षमता कभी नहीं थी जिसे पहली बार सफल होता हुआ देखकर बहुत बड़ी खुशी मिल रही है।