शिवरात्रि पर बेर क्यों चढ़ाया जाता है? जानिए इससे जुड़े पौराणिक कहानी और मान्यताएं :- 

शिवरात्रि पर बेर फल क्यों चढ़ाया जाता है|SHIVRATRI PAR BER PHAL KYON CHADHAYA JATA HAI :-

 

2025 में शिवरात्रि के दिन पूरे भारतवर्ष नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग भगवान शिव की आराधना और पूजा करते हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र के साथ-साथ जौ, बेलफल, धतूरा, दूध, गंगाजल, के साथ-साथ बेर फल चढ़ाते हैं जिसकी मान्यताएं और कहानी कुछ ही लोगों को इसके पौराणिक महत्व के बारे में जानकारी होगी तो यहां पर आपको इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताओं और इससे मिलने वाले लाभ सहित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी दी जा रही है जिसे आप भी पहली बार सुनकर अपने आप को धन्य मानेंगे।

 

2025 में शिवरात्रि कब है? 

 

सबसे पहले लोगों को बताते चले की 2025 में शिवरात्रि फागुन कृष्ण चतुर्थी दसवीं को 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 से शुभ मुहूर्त में शुरू हो जाएगी और शिवरात्रि का आखिरी समय 27 फरवरी को सुबह 8:54 पर शुभ मुहूर्त खत्म होगा यानी इसके बीच में शिव भक्तगण शिव भगवान के शिवलिंग पर बेलपत्र, गंगाजल, जौ, बेर फल, धतूरा, भांग पट्टी चढ़ाए , जिससे कि भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगे। 

 

शिवरात्रि पर बेर फल चढ़ाने की पौराणिक मान्यताएं:- 

बेर फल शिवलिंग पर चढाने की पौराणिक कहानी और मान्यताएं  ..

शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेर फल चढ़ाने की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिवा और पार्वती अपने आहार के रूप में फलों में केवल बेर फल का आहार करते थे जिसकी व्याख्या शिव पुराण सहित प्रमुख ग में देखने को मिलती है। कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती के कैलाश पर्वत स्थित जंगलों में पार्वती मां को बेर फल बेहद अत्यधिक प्रिय थे जिन्हें वह भगवान शिव को खाने के लिए दिया करती थी, जिसकी वजह से भगवान शिव ने इस महत्वपूर्ण बेर फल को ही अपना आहार स्वीकार किया जिसकी वजह से प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक इस महत्वपूर्ण बेर फल को शिवरात्रि के दिन शिवलिंग  चढ़ाने की परंपराहै।

 

शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बल चढ़ाने की फायदे :- 

 

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार बेर फल सबसे प्राचीन जड़ी बूटियां और भूख को खत्म करने के साथ-साथ शरीर में प्रोटीन विटामिन से मिनरल्स खनिज पदार्थों के साथ-साथ ऊर्जा संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यही वजह है कि इस फल को स्वयं भगवान शिव और मां पार्वती अपने आहार में धारण करती थी जिसकी वजह से प्राचीन कल से लेकर वर्तमान समय तक इस फल का महत्व सबसे ज्यादा है जिसे आज भी लोग भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। 

 

  • बेर फल में विटामिन सी और विटामिन ए के साथ-साथ पोटेशियम कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। 
  • बेर फल शिवलिंग के शेप और आकर मैं होने की वजह से इसकी पौराणिक और धार्मिक मान्यता सबसे ज्यादा मानी जाती है यही वजह है की शिवरात्रि के दिन इस फल को भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। 
  • बेर फल में  प्रमुख कई प्रकार की एंटीऑक्सीडेंट तत्व कई प्रकार की विटामिन सी मिनरल्स खरीद पदार्थ होने की वजह से यह कैंसर के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को दोबारा से बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसलिए यह बेर फल का महत्व सबसे ज्यादा लोग समझते हैं और भगवान शिव को शिवरात्रि पर चढ़कर भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं जिससे कि संपूर्ण मानवता जाति के साथ-साथ है संपूर्ण जीव प्राणी निरोगी बन सके। 
  • दूसरी प्रमुख मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम शबरी मां से मिले थे और सबरी ने भगवान श्री राम और लक्ष्मण भ्राता को बेर फल खाने के लिए दिए थे तो भगवान श्री राम ने इसी बेर फल को खाए थे, वही लक्ष्मण कुछ देर फलों को चखकर उन्हें फेंक दिए थे जो कि बाद में दिव्य औषधियां का रूप में परिवर्तित होकर धरती पर कई प्रकार की औषधियां बन गई थी। 
  • शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बर चढ़ने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में खुशहाली, संपन्नता आती है। 
  • शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बल चढ़ाने से शादीशुदा पति-पत्नियों के जीवन में खुशहाली आती है। 
  • शिवरात्रि के दिन बेर फल चढ़ाने से सेहत से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो जाती है और शरीर हष्ट पुष्ट निरोगी और बलवान बनता है। 

 

पौराणिक कहानियां :- 

 

पौराणिक कथाओं और कहानियों के अनुसार भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत था और कैलाश पर्वत पर दूर-दूर तक कोई फल मौजूद नहीं था शिवाय बेर फल के। भगवान शिव को माता पार्वती सुबह भजन और आहार के स्वरूप बेर फल खाने के लिए देती थी और खुद इसी बेर फल का सेवन करती थी। इसलिए इस बेर फल की महत्ता बढ़ती चली गई, भगवान शिव के अलावा जब नन्दी भगवान शिव को किसी भी काम के बदले प्रसन्न कर पाए तो शिव प्रसाद स्वरूप उन्हें बेर फल खाने के लिए दिया करते थे।

इसके बाद यह परंपरा ऋषि मुनियों ने भी इस फल की महत्ता को देखते हुए अपनी तपस्या के दिनों में इन्हीं बेर फल को खाकर अपनी तपस्या पूरा करते थे जिससे उन्हें निरोगी जीवन और प्राण को जीवित रखने के लिए वह सभी शक्तियां प्राप्त हो जाती थी जिससे कि वह लंबी आयु तक जिया करते थे इसी वजह से इस बेर फल की महत्व प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक अनेक वेद ग में आपको देखने को मिलती है।

इतना ही नहीं देवी देवताओं ने भी इस फल का सेवन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनका व्रत धारण करके इस फल को खाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें कई मनवांछित फल मिले जिसकी वजह से इस बेर फल की महत्व और भी ज्यादा बढ़ गई और वर्तमान समय में मनुष्य प्राणी जीव इस फल को भगवान शिव को शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़कर भगवान शिव को प्रसन्न करके और इस फल को प्रसाद स्वरूप खाकर अपने जीवन में आए हुए सभी कष्ट रोग दोष विकारों को दूर करने के साथ-साथ जीवन में धन संपदा खुशी प्राप्त करते हैं।

 

डिस्क्लेमर :- 

शिवरात्रि के दिन बेर फल को शिवलिंग पर चढ़ना पुरानी मान्यताओं और परंपराओं के आधार पर लोगों को आस्थावान, भगवान शिव को प्रसन्न करने का महत्वपूर्ण फल माना जाता रहा है, इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने भी बेर फल में कई प्रकार की सूचना एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के साथ-साथ इसको कैंसर जैसे रोगों में लाभदायक और क्षतिग्रस्त हो गई कोशिकाओं को फिर से बनने में महत्वपूर्ण फल की श्रेणी में रखा है, जो कि कई प्रकार से मनुष्य को निरोगी और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वही आस्थावान शिव भक्तों के लिए यह किसी चमत्कारी संजीवनी बूटी से काम नहीं है, यही वजह है कि बेर फल का वर्तमान समय में भी लोग बड़े स्वाद के साथ इस फल को कहते हैं और शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को भी प्रसाद स्वरूप इसे अर्पित करते हैं।

 

यहां पर दी जा रही संपूर्ण जानकारी केवल प्राचीन भारतीय सभ्यता संस्कृति से जुड़ी सटीक जानकारी के आधार पर साझा की जा रही है, इसकी पुष्टि या फिर इसकी सटीकता को लेखक प्रमाणित नहीं करता है ना ही वेबसाइट इसकी किसी भी प्रकार से पुष्टि करती है इसलिए यदि पाठक इस जानकारी को एक सामान्य जानकारी के तौर पर देख और पढ़ सकते हैं, इसकी सत्यता और यथार्थता के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं होगा।

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