भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए दूसरे T20 सेमीफाइनल के एक महत्वपूर्ण मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत को 10 विकेट से हराकर फाइनल में अपनी जगह बना ली है। भारतीय टीम जो कि इस विश्व टी20 क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन करती आ रही थी और वह टी20 का खिताब जीतने की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी उसके सपने चूर चूर हो गए हैं। भारत की तरफ से शुरुआत में ओपनिंग के लिए आए केयर राहुल और कप्तान रोहित शर्मा ने जिस तरह से भारत को शुरुआत मिलनी चाहिए उस तरह की ओपनिंग नहीं की और एक समय तो ऐसा लग रहा था कि भारत डेढ़ सौ रन भी नहीं बना पाएगा। भारत 10 ओवर में मात्र 65 रनों के आसपास तक का स्कोर बना पाया था लेकिन आगे आने वाले 10 ओवरों में विराट कोहली और हार्दिक पांड्या की वजह से कुछ अच्छे शर्ट देखने को मिले जिससे भारतीय टीम 20 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर मात्र 168 रन बना सकी। इंग्लैंड की टीम को मिले 169 रन का लक्ष्य कोई बड़ा लक्ष्य तो नहीं था लेकिन भारतीय बॉलिंग ने जिस तरह से शुरुआत की और रन लुटाने चालू कर दिए उस तरह से लग रहा था कि इंग्लैंड 10 ओवर में ही मैच को खत्म कर देगा यदि देखा जाए तो भारतीय गेंदबाजों ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन से फाइनल मैच में किया और उन्हें एक भी विकेट हासिल नहीं हुई वहीं यदि बात की जाए इंग्लैंड की तरफ से तो दोनों ओपनर ने मिलकर लगभग 10 छक्के लगाए जिससे कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय गेंदबाजी कितनी निम्न क्वालिटी की थी।
यही वजह है कि भारतीय टीम इस T20 वर्ल्ड कप से पूरी तरह से अब बाहर हो चुका है और अब वह आने वाले अगले विश्वकप के लिए अपने सपने देख सकता है वही यदि बात करें भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों की तरफ से कई प्रकार की मांग की जा रही है जैसे यदि देखा जाए तो भारत में राहुल और ऋषभ पंत जैसे बैट्समैन को ज्यादा छूट दी जा रही है लेकिन वह उनका कोई फायदा नहीं उठा पा रहे हैं बल्कि यदि देखा जाए तो भारतीय टीम में एक से बढ़कर एक धुरंधर खिलाड़ी बैठे हुए हैं जिनका सिलेक्टर्स कभी भी चैन नहीं करते हैं जिसकी वजह से भारत ना सिर्फ केवल बड़े मैचों में अपनी प्रतिद्वंदी टीम से हार रहा है बल्कि आने वाले समय में भी यदि इसी तरह का, टीम चयन द्वारा सिलेक्शन किया गया तो निश्चय है कि भारत कभी भी बड़ी टीमों से बड़े टूर्नामेंट नहीं जीत पाएगा यदि भारत को टूर्नामेंट जीतना है तो उसे अपने टीम में नए-नए बेहतर खिलाड़ियों को जगह देनी ही होगी। भारत को कोई भी टूर्नामेंट जीते हुए 13 साल से भी ज्यादा हो गए हैं तब से लेकर अब तक भारत कोई भी चैंपियन ट्रॉफी या फिर विश्वकप का कोई फाइनल मैच तक नहीं खेल पाया है। वही यदि बात करें 13 साल पहले की तो जब भारतीय टीम में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे तो ना सिर्फ केवल उन्होंने अपने बल्ले और कप्तानी का जादू पूरे विश्व में बिखेरा बल्कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को सातवें आसमान पर ले जाकर खड़ा कर दिया था यदि दोनों प्रारूपों की बात करें तो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने पहला t20 विश्व कप मैच पाकिस्तान को हराकर जीता था वही यदि बात करें विश्व कप की तो उन्होंने 2011 में भारत में खेले गए वानखेड़े स्टेडियम में अपने चित्त प्रतिद्वंदी श्रीलंका को फाइनल में हराकर विश्वकप जीता था तब से लेकर अब तक भारत में कोई ऐसा खिलाड़ी नजर नहीं आ रहा है जो कि भारत को उन नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सफल होता हुआ नजर आ रहा है लेकिन यदि बात करें भारत में क्रिकेट की तो क्रिकेट भारत का सबसे सर्वश्रेष्ठ खेल बनता जा रहा है और भारत में लाखों ऐसे युवा खिलाड़ी हैं जो कि भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में पूरी तरह सक्षम है यदि उनका सही समय पर सही जांच परख करके भारतीय क्रिकेट टीम में जगह दी जाती है।