लियोन मेसी और फ्रांस के कायलियन एमबापे अब तक दोन गोल्डन बूट पाने की रेस में सबसे आगे
कतर फीफा विश्व कप 2022 में अपने गोल के दम पर जीत दिलाने वाले अर्जेंटीना के कप्तान लियोन मेसी और फ्रांस के कायलियन एमबापे अब तक दोनों 5-5 गोल दागकर गोल्डन बूट पाने की रेस में सबसे आगे हैंl
कतर फीफा विश्व कप में अब तक 62 मुकाबलों में 163 गोल दागे जा चुके हैं, और अभी फाइनल मुकाबला लियोन मेसी की अर्जेंटीना और फ्रांस के कायलियन एमबापे जैसे सुपरस्टार खिलाड़ियों की अगुवाई में खेला जाना बाकी है,
लेकिन देखना यह होगा कि 18 दिसंबर 2022 को इस फीफा विश्व कप के फाइनल में चमचमाती ट्रॉफी फ्रांस के हाथों में एक बार फिर से नया इतिहास रचेगी
या फिर अर्जेंटीना के सुपर स्टार खिलाड़ी अपना आखरी फीफा विश्व कप खेल रहे लियोन मेसी के हाथों में होगी इस पर करोड़ों फुटबॉल प्रेमियों की नजरें टिकी हुई है।
जहां तक लियोन मेसी का सवाल है उनके प्रशंसकों की झलक का आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं, कि जब जब अर्जेंटीना का मैच होता है दोनों टीमों के प्रशंसकों के बीच लियोन मेसी के ड्रेस में उनके प्रशंसकों की संख्या स्टेडियम में लगभग 40 परसेंट रहती है जो कि अपने आप में लियोन मेसी जैसे सुपर स्टार खिलाड़ी का सपोर्ट और दूसरी विपक्षी टीम के लिए किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं होती है।
यदि बात करें फ्रांस के सुपर स्टार खिलाड़ी कायलियन एमबापे की तो जब जब फ्रांस अपनी विपक्षी टीम के साथ बीच मैदान पर खेल के लिए उतरता है उनके प्रशंसकों की संख्या लगभग 30 से 35 परसेंट ही रहती है इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लियोन मेसी और एमबापे जैसे सुपरस्टार खिलाड़ियों में लियोन मेसी की क्या अहमियत आज के फुटबॉल प्रेमियों के लिए है।
फीफा विश्व कप में गोल्डन बूट क्यों दिया जाता है?
यदि आपके मन में फीफा विश्व कप में दिए जाने वाले गोल्डन बूट को लेकर मन में कई सारे प्रश्न चल रहे हैं तो उसका सटीक उत्तर आज आपको जानकर बेहद खुशी होगी, फीफा विश्व कप में यह गोल्डन बूट फीफा विश्व कप में किसी एक खिलाड़ी द्वारा पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ी को दिया जाता हैl
यदि 2 खिलाड़ियों ने बराबर बराबर गोल पूरे विश्व कप टूर्नामेंट में किए हैं, तो किसको और किस आधार पर यह गोल्डन बूट किसी खिलाड़ी को दिया जाता है आओ जाने:-
यदि फीफा विश्व कप में 2 खिलाड़ी पूरे टूर्नामेंट में बराबर बराबर गोल किए हैं तो इसके लिए यह देखा जाता है कि खिलाड़ी ने कितने गोल करने में मदद (असिस्ट) की है l यदि यहां पर भी मामला बराबर का रहता है तो यह देखा जाता है कि कौन कितने कम समय के लिए मैदान पर रहाl
गोल्डन बूट देने की शुरुआत 1982 में शुरू हुई:-
यदि बात करें फीफा विश्व कप में गोल्डन बूट अवार्ड देने की शुरुआत की तो इसे सबसे पहले 1982 में इसकी शुरुआत हुई थी तब इसे गोल्डन शू के नाम से जाना जाता था। 1982 से लेकर 2006 तक के फीफा विश्व कप में इसको गोल्ड शु shoe के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन 2010 में इसका नाम बदलकर गोल्डन बूट कर दिया गया।
गोल्डन बूट का इतिहास शुरू से ही बड़ा अटपटा स रहा है; यदि बात करें सभी विश्वकप के शीर्ष स्कोरर को गोल्डन बूट विजेता के तौर पर ही पहले पहचान दी जाती थी 1994 तक यह अवार्ड सभी शीर्ष स्कोरर के बीच साझा किया जाता थाl 1962 में यह गोल्डन शू अवार्ड खिलाड़ियों ने जीता था वहीं 1994 में एक विजेता चुनने को ट्राई ब्रेकर सिस्टम लाया गया था जिसमें दोनों खिलाड़ी बराबर गोल करके इस अवार्ड के हकदार थे लेकिन ट्राई ब्रेकर सिस्टम के द्वारा उनमें से एक खिलाड़ी को चुनकर इस गोल्डन शू अवार्ड को दिया गया था।
फीफा विश्व कप में दो बार गोल्डन शू अवार्ड को कोई नहीं जीत सका है:
फीफा विश्व कप में गोल्डन शू अवार्ड किसी एक खिलाड़ी द्वारा दो बार अभी तक नहीं जीता जा सका है। लेकिन यदि बात करें किसी एक देश की तो यहां पर सबसे ज्यादा पांच बार ब्राजील के खिलाड़ियों ने गोल्डन शू अवार्ड अपने नाम किया है। गोल्डन शू पाने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट कि यदि बात करें तो 1934 में लियोनिडास और 1950 में एडमिन ने गोल्डन शू अवार्ड जीता था वहीं 1962 में गैरिंच और बाबा ने इस अवार्ड को अपने नाम किया तो वहीं 2002 में रोनाल्डो ने गोल्डन बूट का अवार्ड अपने नाम किया था।