डेंगू मच्छर को को खत्म करने आ गए, उसी के प्रतिरूप 90 लाख कृतिम मच्छर, जिसे वैज्ञानिकों ने बनाया :-
विश्व भर में डेंगू के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए वैज्ञानिकों की यह अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च: –
विश्व भर में डेंगू मलेरिया से प्रतिवर्ष हजारों लोग इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ देते हैं, वहीं यदि बात करें पूरे विश्व में प्रतिवर्ष डेंगू से संक्रमित होने वाली मरीजों की संख्या लाखों में होती है , जो की आए दिन डेंगू के मच्छरों की संख्या में लगातार वृद्धि होने से मरीजों की संख्या और ज्यादा बढ़ती जा रही है जो की बेहद चिंता का सबक बनता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से एक नई पहल की गई है जिसमें अभी हाल ही के पिछले महीने में होंडुरास में डेंगू की रोकथाम के लिए वोलबाचिया नामक बैक्टीरिया को ले जाने वाले मच्छरों को छोड़ गया है जो की मादा मच्छर के संपर्क में आने से जब यह मच्छर प्रजनन करेंगे तब उनकी संतानों में इस खास किस्म के एंटीबायोटिक वोलबाचिया बैक्टीरिया से पूरी तरह संक्रमित हो जाने पर उनमें किसी भी प्रकार का डेंगू संक्रमण वाला किसी भी प्रकार का जीवाणु विषाणु नहीं पन पाएगा इससे लोगों में इससे संक्रमित मच्छरों के काटने पर उन्हें डेंगू मलेरिया जैसा भीषण संक्रमण नहीं हो पाएगा और वह अपने आप को सुरक्षित रख पाएंगे।
आखिर क्या है, और आखिर कैसे काम करेगी वोलबाचिया बैक्टीरिया एंटीजन तकनीक: –
जैसा की,वोलबाचिया बैक्टीरिया एंटीजन तकनीक नाम से ही पता चलता है कि यह एक खास प्रकार की बैक्टीरिया है जो की, फल मक्खियों कीट पतंग तितलियां और ड्रैगनफ्लाई सहित कई अन्य प्रकार की प्रजातियां में यह पाया जाता है जो की एंटीबायोटिक एंटीजन के रूप में यह काम करता है जिससे कि डेंगू से फैलने वाले रोग और बीमारी पूरी तरह से छूमंतर हो जाते हैं। यही वजह है कि इस खास में किस्म की वोलबाचिया बैक्टीरिया को डेंगू फैलाने वाले मच्छरों में जेनेटिक प्रक्रिया द्वारा नर्मदा मच्छरों के द्वारा एक दूसरे में इस बैक्टीरिया को फैलाकर डेंगू मच्छर में पाए जाने वाले खास किस्म के वायरस और खतरनाक जीवाणु विषाणु को नष्ट करने का यह काम करता है जिससे कि इससे संक्रमित डेंगू मच्छर जब व्यक्ति को काटता है तो उसको किसी भी प्रकार का बुखार सिर दर्द या फिर डेंगू के कोई भी लक्षण उसे संक्रमित नहीं कर पाते हैं इसी तकनीक को ध्यान में रखकर वैज्ञानिकों ने इस पर बड़ी पहल की है और इसे अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मंजूरी दे दी है जिससे कि इसे कई बड़े देशों में अभी ट्रायल के तौर पर इसका अध्ययन किया जा रहा है या यदि यह तकनीक 100% कारगर रहती है तो आने वाले समय में डेंगू मच्छर मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों पर एक बड़ी जीत हासिल की जा सकती है।
वोलबाचिया बैक्टीरिया पर अब तक वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सफल परीक्षण और सफलता का प्रतिशत: –
वोलबाचिया बैक्टीरिया तकनीक का अध्ययन विश्व भर में लगातार डेंगू के खतरों से होने वाले इजाफे की कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने इस पर एक गहन रिसर्च की है जिसका प्रारंभ सन 2011 में डेंगू मलेरिया जनित मच्छरों पर विशेष अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों द्वारा सबसे पहले इसे ऑस्ट्रेलिया में इस तकनीक का परीक्षण किया गया था और यह रणनीति पूरी तरह से वैज्ञानिकों द्वारा सफल भी रही थी।
वैज्ञानिकों द्वारा चार अलग-अलग देश में लगभग 1.01 करोड़ लोगों को प्रभावित करने वाले परीक्षण चलाए गए थे जिसमें लोगों पर किए गए परीक्षण में डेंगू मलेरिया के मामलों में क्षेत्र परसेंट की कमी गिरावट देखी गई थी वहीं यदि बात करें एक अन्य रिसर्च में जो की 2019 में इंडोनेशिया देश में किया गया था, और इसके बाद अभी हाल ही में पिछले महीने होंडुरास में डेंगू की रोकथाम के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया। यदि बात करें अभी विश्व भर की में डेंगू मलेरिया से संक्रमित होने वाले मरीजों की तो इनकी संख्या लगातार दिनों दिन बढ़ती जा रही है जहां पहले आज के 5 साल या एक दशक पहले डेंगू मलेरिया से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 40 से 50 लाख हुआ करती थी वहीं यह पिछले 5 सालों में 10 करोड़ से लेकर 20 करोड़ तक पहुंच चुकी है वहीं अभी हाल ही में एक रिसर्च के अनुसार पूरे विश्व भर में लगभग 40 करोड लोग डेंगू मच्छर से संक्रमित हो रहे हैं वहीं प्रतिवर्ष लगभग 40000 लोगों की डेंगू मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से मृत्यु हो रही है। इन्हीं पहलुओं पर ध्यान देकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व भर के बड़े-बड़े रिसर्च वैज्ञानिक इस नहीं तकनीक पर अध्ययन कर रहे हैं जिससे कि आने वाले समय में डेंगू मलेरिया से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में कमी लाई जा सकेl