500 वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद श्री राम मंदिर में विराजमान भगवान श्री राम लला के के मुकुट, तिलक, धनुष, मुद्रिका, विजयमाला, कांचिया करधनी, कंगन, पैजानिया, भुजबंद, पदिक कौस्तुभमणि की विशेषताएं (खूबियाँ ) की विस्तृत जानकारी आपको नीचे दी जा रही है जिसमे भगवान श्री राम के अद्भुद छबि और उनके धारण किये हुए अतुलनीय दिव्य अभूशनो को वर्णित किया गया है …
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा चुका है। भगवान श्री राम अब अपने मूल स्थान पर 500 वर्षों के बाद पूरी तरह से विराजमान हो चुके हैं। भगवान श्री राम के बाल स्वरूप में अद्भुत दिव्यता के साथ अलौकिक छवि देखने को मिल रही है जिससे कि सभी लोग अपने आपको कलयुग में भी त्रेता युग जैसा ही अपने आप को गौरवशाली और भाग्यशाली मान रहे हैं और भगवान श्री राम की अद्भुत दिव्य स्वरूप का दर्शन करके अपने आप को कृत्य -कृत्य धन्य भाग्य मान रहे हैं।
भगवान श्री राम की एक झलक पाने के लिए और उनका दीदार करने के लिए हर एक जीवात्मा वर्तमान समय में ला ला यित है, हो भी क्यों ना एक लंबे समय और एक घोर तपस्या के बाद भगवान श्री राम लला अयोध्या में पधारे हैं। हर एक भक्त के मन में बस एक ही भाव इस समय उम्र रहा है की एक बार बस एक बार भगवान श्री राम की दर्शन हो जाए जिससे कि जीवन धन्य हो जाए और यह सब यथार्थ सत्य भी हो रहा है, अयोध्या में श्री राम भगवान आ गए हैं और भक्तजन अपने भावों को लिए हुई भगवान की तरफ दौड़े चले आ रहे हैं यहां पर तुलसीदास द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां पूरी तरह से यथार्थ जीवंत होती हैं जिसमें लिखा गया है कि –
‘जिसकी होई भावना जैसी प्रभु मूरत तिहु देखहि तैसी”!
भगवान श्री राम की अद्भुत छवि में उनके वस्त्र और आभूषण भी लोगों का मन आहलादित (बेहद प्रसन्न) कर रहे हैं, क्योंकि जिस चीज की कल्पना जीव प्राणी सिर्फ अपने मन में सोच सकता है वह वर्तमान समय में साक्षात साकार रूप में भगवान श्री राम के स्वरूप के साथ उनके आभूषणों में भी साकार हो रहा है। भगवान श्री राम लला का श्रृंगार अद्भुत और अलौकिक है जिसमें ऐसी अद्भुत अलंकारी का समावेश देखने को मिलता है जो कि लोगों को कृत्य कृत्य कर देता है। श्री राम जो वर्तमान समय में अयोध्या में विराजमान है उनके परिधानों और श्रृंगार का वर्णन आपको इस रूप में देखने को मिलता है जिसमें सबसे पहले भगवान श्री राम के मुकुट की दिव्यता देखते ही बनती है। इसके साथ-साथ भगवान श्री राम की विजयमाला हाथ में सज रहा सोने का धनुष -बाण और गले में कंठ माला पैरों में पैजानिया और हाथों में भुज बंद और कमर में करधनी जैसे दिव्या आभूषण प्राकृतिक नवरत्नों से मिलकर बनाए गए हैं जिनकी विशेषता को यहां पर उकेरने का प्रयास किया गया है , जिसमें हर एक आभूषणों की विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है-
स्वर्ण, माणिक्य, हीरा- पन्ना जड़ित दिव्य मुकुट:-
भगवान श्री राम लाल के सिर पर जो मुकुट विराजमान है उसकी दिव्यता देखते ही बनती है जिसमें 24 कैरेट सोने से निर्मित मुकुट को प्राकृतिक अनमोल रतन हीरा पन्ना, माणिक्य के जैसी अनमोल प्राकृतिक रतन के द्वारा श्रृंगारित किया गया है जिसमें 24 कैरेट शुद्ध स्वर्ण के साथ-साथ 75 कैरेट के हीरे और 135 कैरेट की पानी और 262 कैरेट की माणिक्य लगे हुए हैं जो की भगवान श्री राम के स्वरूप को प्रतिबिंबित कर रहे हैं।
विजयमाला
भगवान श्री राम ने जी विजय माला को धारण किया हुआ है इसका वजन ही 2 किलोग्राम है, जिसमें 850 कैरेट का मालिक की और पन्ना स्वभय मन हो रहा है, वही इस विजय माला में 70 कैरेट का हीरा भी अपनी दिव्य अवश्य विजय माला को अद्भुत अलौकिक अलंकृत दिव्यता प्रदान कर रहा है।
तिलक
भगवान श्री लला के मनमोहक स्वरूप को भगवान श्री राम की माथे पर दिव्या रोशनी बिखेर रहा अद्भुत तिलक अपनी आभा से चारों ओर रोशनी बिखेर रहा है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत इसमें प्राकृतिक धातु हीरे के 10 कैरेट के छोटे-छोटे हीरे और मध्य भाग में माणिक्य लगे हुए हैं । भगवान श्री राम के दिव्य स्वरुप को माथे पर लगे तिलक को छोटी-छोटी हीरो के प्रकाशित प्रतिबिंब और बीच में दिव्य लाल मनी अपनी आभा से भगवान श्री राम को अलंकृत कर रही है।
कंठा :
भगवान श्री राम की गले में 500 ग्राम का शुद्ध 50 कैरेट के हीरे और 150 कैरेट की माणिक्य और 380 कैरेट के पन्ने के साथ बनाया गया कंठा : शोभायमान हो रहा है जिसकी चमक अद्वितीय है।
मुद्रिका
भगवान श्री राम के दाएं हाथ में विराजमान पैन और हीरे से निर्मित 65 ग्राम की अंगूठी स्वाभिमान हो रही है जिसमें 4 कैरेट की प्राकृतिक हीरे और 33 कैरेट के पन्ने लगी हुई हैं वही बाएं हाथ की मारी के वाली अंगूठी 26 ग्राम की है जिसमें प्राकृतिक हीरे और पन्ने लगे हुए हैं जो कि भगवान श्री राम की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।
धनुष -बाण
भगवान श्री राम के बाएं हाथ में स्वर्ण जातित धनुष है जिस पर 1 किलोग्राम शुद्ध 24 कैरेट सोना धातु अपनी चमक आभा बिखेर रही है वही दाहिने हाथ में एक बाद है जो की असत्य पर सत्य की विजय को प्रतिबिंबित कर रहा है।
कंगन:
भगवान श्री राम की हाथों में विराजमान कंगन बेहद ही अद्वितीय अलंकृत का नमूना पेश कर रहे हैं जिसमें शुद्ध 850 ग्राम सोने के साथ-साथ इसमें 100 कैरेट की हीरे और 320 कैरेट के मालिक के और पैन अपनी शोभा से इसे दिव्या प्रकाशित कर रहे हैं और भगवान श्री राम की स्वरूप को और भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक बना रहे हैं।
भुजबंद / अंगद :-
भगवान श्री राम की भुजाओं पर अशोक ग्राम के भुज बंद और 850 ग्राम के कंगन स्वाभिमान हो रहे हैं जिसमें 100 कैरेट का हीरा और 320 कैरेट का मालिक के साथ-साथ प्राकृतिक पन्ने भी जड़े हुए हैं जो कि अपनी दिव्यता से भगवान श्री राम की दोनों भुजाओं को स्वभय मन कर रहे हैं।
कांचिया करधनी
भगवान श्री राम के अद्भुत रूप को शुद्ध प्राकृतिक स्वर्ण निर्मित 750 ग्राम की करधनी शोबी मन कर रही है जिसमें 70 कैरेट का हीरा और 850 कैरेट का मालिक की और पन्ना लगा हुआ है।
पैजनिया
भगवान श्री राम के पैरों में स्वभय मां 560 ग्राम की पैजानिया भगवान श्री राम की दोनों पैरों को अलंकृत कर रही हैं जिसमें पैरों के अंत में कमल दल के नीचे सोने की माला 335 ग्राम और इसमें जड़ित कई प्रकार के हीरे और पन्ने लगाए गए हैं जो कि अपनी दिव्य आभासी भगवान श्री राम के पैरों को अलंकृत कर रहे हैं।
डिस्क्लेमर:-
भगवान श्री राम अयोध्या में एक लंबे अरसे की प्रतिष्ठा के बाद 500 वर्ष के बाद विराजमान हुए हैं, जिनके मनमोहन रूप और उनकी मंद मंद मुस्कान को देखकर सभी भक्तजन अपने आप को धन्य भाग्य मान रहे हैं, वही भगवान के दिव्य प्राकृतिक पदार्थ से बनाए गए आभूषण भी बेहद ही सुंदर और मनमोहन दिखाई दे रहे हैं यहां पर दी जा रही जानकारी केवल सामान्य जानकारी के आधार पर भक्तों तक पहुंचाई जा रही है, इस जानकारी को भक्तजन केवल भगवान के दिव्य स्वरूप और उनकी परिधानों की दिव्यता की आधार पर अपने अमल में ला सकते हैं यहां पर दी जा रही जानकारी समाचार पत्रों के आधार पर ही वर्णित किया गया है tamatargyan.com की तरफ से कोई भी अवांछित जानकारी पेश नहीं की जा रही है, यहां पर वर्णित जानकारी केवल तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर दी गई है।