जलकुंभी से बनी महंगी साड़ियां मार्केट में मचा रही है धूम ! इस बार 2024 होली त्यौहार पर ऑनलाइन घर बैठे आप भी मंगा सकते हैं जलकुंभी, कपास और रेशम से बनी महंगी साड़ियां:-
जी हां, यह कोई हवा हवाई बातें नहीं है बल्कि यह टेक्नोलॉजी और आधुनिक जगत में हो रही नई खोजों और आविष्कार का प्रत्यक्ष प्रमाण है । आज से मात्र 2 साल पहले यदि बात करें तो जब कोई जलकुंभी से साड़ी बनाने का प्रस्ताव कपड़ा उद्योग के बड़े-बड़े विशेषज्ञ और एक्सपर्ट के पास लेकर जाता था, तो उसे वह एक्सपर्ट और विशेषज्ञ यह कहकर और उसका मजाक बनाकर उसका उपहास उड़ाते थे , लेकिन कहते हैं “जहां चाह वहां राह ” और इस कहावत को सच साबित करने का श्रेय गौरव आनंद को जाता है ,जो की अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर, कई प्रकार की महत्वपूर्ण खोजने के लिए और आविष्कार के लिए जाने जाते हैं उन्हीं के अथक प्रयासों और जलकुंभी पर किए गए रिसर् का नतीजा है कि आज वर्तमान समय में जलकुंभी से न कि सिर्फ केवल महंगी साड़ियां बनाई जा रही है बल्कि कई प्रकार की अन्य पहनने वाले वस्त्र जैसे कुर्ता, धोती, मॉडर्न समय के सूट , लहंगा जैसे प्रोडक्ट भी बनाए जा रहे हैं जो मार्केट में अपनी धूम मचा रहे हैं ।
सबसे बड़ी खास बात यह है कि जलकुंभी के रेशे और कपास के रेशे को 25 के अनुपात 75 अनुपात में मिल|कर वर्तमान और आधुनिक समय में इको फ्रेंडली Eco Friendly साड़ियां तैयार की जा रही है जो की शरीर को कंफर्टेबल बनाने के साथ-साथ कई प्रकार की कपड़ों से संबंधित समस्याओं को पूरी तरह से खत्म करती हैं ।
पश्चिम बंगाल और झारखंड के साड़ी बुनकर बना रहे हैं साड़ियां:
आज से मात्र 2 साल पहले गौरव आनंद जो की हैंडलूम और प्राकृतिक वनस्पति जलकुंभी से कई प्रकार के प्रोडक्ट जैसे- हैंडबैग, टोकरी, घर में फोटो के साथ लगने वाले डेकोरेशन फ्रेम के अलावा कई अन्य प्रकार के प्रोडक्ट्स इस वनस्पति जलीय पौधे जलकुंभी से बनाकर बेहद बड़ी सफलता पाई थी और आज वर्तमान समय में ऑनलाइन आपको यह पश्चिम बंगाल और झारखंड के हैंडलूम बुनकरों द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स आज भी आप आसानी से खरीद सकते हैं लेकिन इसके साथ-साथ सरकारी नौकरी से रिजाइन दे चुके गौरव आनंद जी का सपना कुछ और बड़ा करने का था । उन्होंने इस पर लगातार अपनी रिसर्च जारी रखी, और आज से ठीक 2 साल पहले यानी 2022 में जब उन्होंने जलकुंभी के डंठल के रेशे से और कपास के रेशे को सही अनुपात में मिलते हुए इसका धागा बनाया
और उससे पहली साड़ी बनी तो कपड़ा जगत के बड़े-बड़े एक्सपर्ट और बड़े-बड़े उद्योगपति भी उनके इस अद्भुत खोज के दीवाने हो गए और आज उन्हीं की देन है कि जलकुंभी से बनी कपास और रेशम धागे के मिश्रण के साथ बनी महंगी महंगी साड़ियां न सिर्फ केवल मार्केट में धूम मचा रही है बल्कि लोग इन्हें इको फ्रेंडली होने की वजह से बेहद पसंद कर रहे हैं और बढ़-चढ़कर इन इको फ्रेंडली शादियों और कई प्रॉडक्ट्स को खरीद भी रहे हैं ।
आज के आधुनिक युग में जलकुंभी और कपास के मिश्रण से बनी साड़ियां बनाने का सबसे बड़ा श्री पश्चिम बंगाल और झारखंड के बुनकरों को जाता है, जिन जिन में अभी तक लगभग सौ 450 से अधिक महिलाएं और कई एक्सपर्ट बुनकर एक साथ बड़ी मात्रा में इन महंगी जलकुंभी से बनी साड़ियों को बना रहे हैं इसके साथ-साथ अब वर्तमान समय में जलकुंभी से साड़ियां बनाने का रोजगार अन्य प्रदेशों में भी तेजी से फैल रहा है दिन में प्रमुख रूप से उत्तराखंड और बिहार मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी लघु उद्योग के अंतर्गत अब लोग जलकुंभी से साड़ियां बनाने में रुचि दिखाने लगे हैं ।
जलकुंभी से बनी साड़ियों की कीमत ₹2000 से लेकर ढाई हजार रुपए तक:
यदि बात करें जलकुंभी से बनाई गई शादियों की कीमत की तो जलकुंभी के रेशे जलकुंभी के डेंटल को गर्म करके और इन्हें फिर सुखाकर निकल जाते हैं जो की इको फ्रेंडली होने के साथ-साथ यह शरीर को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचती जिसकी वजह से इन्हें रेशम और कपास के धागों के मिश्रण के साथ साड़ियों को बेहद अच्छी हल्की और चमकदार शाइनिंग चमक देने के साथ-साथ इन्हें बेहद हल्की और सॉफ्ट बनाया जाता है जो की एक साड़ी की कीमत ₹2000 से लेकर 3500 रुपए तक मार्केट में मिलती है । वहीं यदि आप जलकुंभी से बनी हुई साड़ियों को ऑनलाइन मंगाना चाहते हैं तो यह ऑनलाइन भी आपको आसानी से मिल जाएगी ।
वर्तमान समय में 450 से अधिक महिलाएं और कई एक्सपर्ट बुनकर को जलकुंभी से साड़ी बनाने का रोजगार मिला:-
वर्तमान समय में जलकुंभी के रेशे और इसे प्राप्त होने वाले धागे से कई प्रकार की महंगी साड़ियां बनाने के साथ-साथ कई प्रकार की अन्य प्रोडक्ट भी बनाए जा रहे हैं जिनमें सिर्फ पश्चिम बंगाल की बात करें तो 450 से अधिक महिलाएं और कई एक्सपर्ट बुनकर को गौरव आनंद जिन्हें जलकुंभी के रेशे से साड़ी बनाने का श्रेय जाता है उनकी देखरेख में रोजगार मिल गया है इसकी साथ-साथ कई अन्य जगह पर अब यह रोजगार तेजी से बढ़ रहा है जो की आने वाले समय में तेजी से फैल रहा है और आने वाले समय में जलकुंभी के रेशे से कपड़ा बनाने और कई अन्य प्रकार की दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुएं बनाने में लाखों लोगों को इससे रोजगार मिलने की संभावना है ।
जलकुंभी से के एक साड़ी बनाने में लगते हैं 4 दिन /साड़ी बनाने के लिए जलकुंभी और कपास का अनुपात 25 रेशन 75 का रखा जाता है-
जलकुंभी से साड़ी कैसे बनाई जाती है? इसका सीधा सा जवाब आपको यहां पर मिल जाएगा, जलकुंभी से साड़ी बनाने का सबसे सरल प्रक्रिया यह है कि जलकुंभी के लंबे-लंबे डेंटल को पहले तोड़ लिया जाता है और उन्हें गर्म पानी में उबालकर इन्हें अच्छी तरह सुख लिया जाता है और जब यह डेंटल सूख जाते हैं तो इनमें लंबे-लंबे रेशे निकलते हैं इन्हीं जलकुंभी के डेंटल से निकले हुए रेशों को कपास के रेशों के साथ मिक्स करके 25 अनुपात 75 के अनुपात में इन्हे धागे की शक्ल दे दी जाती है वहीं इनमें और ज्यादा अच्छी क्वालिटी लाने के लिए रेशम धागे को भी डिमांड के आधार पर मिश्रित किया जा सकता है जिससे कि बेहद अच्छी क्वालिटी की साड़ियां और कई अन्य प्रकार की पहनने वाले प्रोडक्ट इसे तैयार किए जाते हैं जो कि वर्तमान समय में मार्केट में धूम मचा रहे हैं ।
एक साड़ी बनाने में लगभग 25 किलो जलकुंभी का इस्तेमाल किया जाता है :-
यदि बात करें जलकुंभी से साड़ी बनाने में लगने वाली क्वांटिटी की तो लगभग एक साड़ी बनाने में 25 किलो जलकुंभी का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें जलकुंभी के लंबे-लंबे डंठल का इस्तेमाल पहले इन्हीं गर्म करके और फिर सुखाकर इनके रेशे निकालकर साड़ी बनाने में किया जाता है जिनमें प्रमुख रूप से कपास और अन्य फाइबर धागों का इस्तेमाल किया जाता है जिसे बेहद हल्की स्मूथ और बेहद उच्च क्वालिटी की साड़ी का प्रोडक्शन किया जाता है जो की इको फ्रेंडली होने के साथ-साथ शरीर को बेहद कंफरटेबल प्रदान करती है ।