2023 होली कब है ? होली किस तारीख और दिन को पड़ रही है आओ जाने:- 

2023 होली कब है ? होली किस तारीख और दिन को पड़ रही है आओ जाने:- 

होली 2023 : जी हां दोस्तों ,यदि आप होली की डेट Date (तारीख) को लेकर परेशान हैं तो यह जानकारी आप जरूर पढ़ें ,क्योंकि आपको 2023 में होली की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी, तो आइए जानते हैं सन 2023 में होली किस किस दिन और किस तारीख को मनाई जाएगी।

 

जी हां ,2023 में खुशियों का पर्व होली कब है ? होली किस तारीख और दिन को पड़ रही है, अब  होलिका दहन के समय को लेकर जो कन्फ्यूजन बना हुआ था वह अब  दूर हो जाएगा क्योंकि इस सत्र 2023 में  होलिका दहन 7 मार्च को होगा ,क्योंकि फागुन की पूर्णिमा 7 मार्च को है ऐसे में होलिका दहन का शुभ दिन मंगलवार Thuesday यानी 7 मार्च को पड़ रहा है  ,और ठीक उसके अगले दिन यानी 8 मार्च दिन बुधवार (Wednesday) को होली/गुलाल मनाई जाएगी। 

 

होली के त्योहार से पहले होलीकाष्टक  लग जाता है, 28 फरवरी से होलिका अष्टक शुरू हो रहा है, होलिका अष्टक की मान्यता यह है कि जिस दिन से होलिका अष्टक लगता है तब से लेकर होली के जलने के एक दिन पहले तक कोई शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है यह परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है।

 

 

वीकेंड छुट्टियों वाली होली:

2023 में लोगों को दुगनी खुशी इस वजह से भी मिलने वाली है कि इस साल होली वीकेंड की छुट्टियों के बाद पड़ रही है जिससे Extra 2 दिनों के अवकाश के साथ इस साल की होली लोगों को बड़ी खुशियां देने आ रही है लोगों में वीकेंड के बाद में पढ़ रही होली को लेकर काफी उत्साह है और इस साल होली उमंगों, हर्षो -उल्लास वाली होने जा रही है तो आप भी इसमें Colorfull रंगों से सराबोर हो जाइये और इस साल होली को खूब इंजॉय जरूर करें।

 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और समय: (Holika Dahan Shubh Muhurat &Time 2022): 

होलिका दहन तिथि- 7 मार्च (मंगलवार) Tuesday. 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 40 मिनट तक .

 

होलिका दहन की मान्यता:

देश में होलिका दहन की मान्यता सदियों से चली आ रही है बसंत पंचमी के दिन जहां पर होलिका दहन होना होता है वहां पर एक लकड़ी गाड़ दी जाती है और तब से लेकर थोड़े थोड़े पेड़ पौधों के डंठल लकड़ी या उपले कंडे उसमें लगातार डाले जाते हैं धीरे धीरे यह एक ढेर में बदलता चला जाता है जो कि होली का रूप ले लेता है और इस ढेर को पूर्णिमा की रात्रि को शुभ मुहूर्त में पूजा विधि विधान के साथ में होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन की मान्यता यह है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। हिरण्यकश्यप के अत्याचारों को किस प्रकार से भक्त प्रहलाद ने सहकर भी अंत में असत्य पर सत्य की जीत पाई थी आप सभी लोग जानते हैं।

होलिका दहन की विधि और लाभ:

होलिका दहन भारत में सदियों से हरएक राज्यों में मनाया जाता है जिसमें बसंत पंचमी के दिन ही इसकी शुरुआत हो जाती है जब लोग लकड़ियों कोई कट्टी कर एक उचित स्थान पर इसको गार्ड कर  प्रारंभ कर देते हैंहोलिका दहन में किसी पेड़ की शाखा को जमीन में गाड़कर उसे चारों तरफ से लकड़ी, कंडे या उपले से ढक दिया जाता है ।

इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है. इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और शरीर पर पहले से लगा हुआ उबटन इसमें  डाले जातें है. ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और सारी बुराइयां इस अग्नि में जलकर  भस्म हो जाती हैं. होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी हैl

होलिका दहन को लेकर यही मान्यताएं लोगों में एक अटूट विश्वास जगाती है जो कि एक यथार्थ सत्य भी है ,इस दिन  बुराई पर अच्छाई की जीत होती है यानी हिरण्यकश्यप की बहन होली का जिसको अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था ने जब असत्य का सहारा लिया तो वह भी इस असत्य रूपी काया में जलकर भस्म हो गई और सत्य रूपी भक्त प्रहलाद उसी अग्नि में जल नहीं सके यही यथार्थ सत्य लोगों में एक विश्वास बनाता है और सभी मानव जाति को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है जिसे हम  होलिका दहन के रूप में मनाते हैं और अगले दिन हर्षोल्लास के साथ  खुशियों का रंग होली मनाते हैं ,और एक दूसरे के गले मिलकर अपनी प्रसन्नता अपने सुख-दुख को एक दूसरे के साथ बैठकर आने वाले समय में एक सुंदर सत्य रूपी समाज बनाकर इस धरती को सुंदर बनाते हैं।

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सदियों से मान्यता रही है की होली के अग्नि में कुछ ऐसी शक्तियों होती है जिनके बारे हम सबको पता नहीं होता है।

सदियों से मान्यता रही है कि जिस घर की स्त्रियां घर में होलिका दहन की अग्नि से घर का चूल्हा जलाती हैं उससे घर में सुख- समृद्धि आती है इस पर पकाया गया भोजन अनेक दुर्गुणों का नाश करता है और घर में सुख -शांति लाता है ,क्योंकि असत्य रूपी पिसाची शक्तियों का नाश होता है और सत्य रूपी लक्ष्मी की कृपा घर पर होती है ,इसलिए सभी स्त्रियां अपने घरों का चूल्हा इसी अग्नि से प्रज्वलित करती है जो कि एक प्रचलित परंपरा है।

 इस दिन महिलाएं दूध ,पानी, कुमकुम, अक्षत और फूल से होलिका की पूजा करती हैं और प्रार्थना करती है कि जिस प्रकार भगवान अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी उसी प्रकार असत्य रूपी बुराइयों और मुसीबतों से घर  परिवार की रक्षा करें,और धन धान्य से पूर्ण करें l

 

होली पर लोगों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके सटीक उत्तर:-

Q. 2023 में होली कौन से दिन पड़ेगी?

Ans.भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार 2023 में होली हर साल की तरह फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाएगी l 2023 में होलिका दहन 7 मार्च दिन मंगलवार को पड़ रहा है, और इसके ठीक अगले दिन होली गुलाल का शुभ दिन 8 मार्च दिन बुधवार  को पड़ेगाl

Q. गूगल होली कितने बजे जलेगी?

Ans:-2023 में होलिका दहन 7 मार्च दिन बुधवार को पूर्णिमा के दिन पढ़ रहा है ऐसे में इसका शुभ मुहूर्त शाम 6:24 मिनट 31 सेकंड से लेकर रात 8:51Minut 30 सेकंड तक रहेगा। इस तरह यदि होलिका दहन का संपूर्ण समय देखा जाए तो यह 2 घंटे 26 सेकंड तक का शुभ समय इस साल बन रहा है।

Q. गूगल होली कैसे मनाए?

Ans:-होली कैसे खेली जाती है और इसको कैसे हम अच्छी तरह से मना सकते हैं इसके लिए आपको बताते चलें कि फागुन मास की पूर्णिमा को रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में होलिका जलाई जाती हैं ठीक इसके अगले पूरे दिन होली रंग गुलाल लोग एक दूसरे पर लगाते हैं और होली के गीत संगीत के साथ नृत्य भी करते हैं। यदि आप भी होली बनाना चाहते हैं तो आप हाथ में पिचकारी लेकर रंग गुलाल के साथ अपने दोस्तों मित्रों सगे संबंधियों को रंग गुलाल लगाकर और साथ में होली के गीत संगीत के साथ नृत्य करके होली का भरपूर लुफ्त (मजा) ले सकते हैं।

 

Q. भारत में किस जगह की होली सबसे प्रसिद्ध है?

Ans. भारत में मथुरा वृंदावन की ब्रज की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। भारत के अनेक प्रदेशों में इसे लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ एक दूसरे पर रंग रंग गुलाल लगाकर बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए इसे सेलिब्रेट करते हैं।

यदि बात करें होली के प्रकार की तो मथुरा वृंदावन ब्रज की सबसे महत्वपूर्ण होली में लड्डू मार होली और लठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। इसके साथ-साथ लोग कीचड़ मार होली भी खेलते हैं।

इसके अलावा जो लोग प्राकृतिक तरीके से होली खेलना पसंद करते हैं वह नेचुरल तरीके से बनाए गए कलरफुल रंगों गुलालों के साथ होली खेलना पसंद करते हैं।

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