लोटस टेंपल संगमरमर के सफेद पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है जिसकी खूबसूरती बिल्कुल सफेद कमल जैसी दिखती है, इसीलिए इसे लोटस टेंपल कहा जाता है।

दिल्ली में स्थित लोटस टेंपल की खूबसूरती को देखने के लिए देश विदेशों से पर्यटक लाखों की संख्या में प्रत्येक वर्ष देखने आते हैं।

सफेद कमल की आकृति में बने होने के कारण इसे लोग लोटस टेंपल कहते हैं और इसकी आकृति हुबहू सफेद कमल की जैसी है।

सफेद कमल की आकृति में बने होने के कारण इसे लोग लोटस टेंपल कहते हैं और इसकी आकृति हुबहू सफेद कमल की जैसी है।

लोटस टेंपल को 24 दिसंबर 1986 में इसका उद्घाटन किया गया था जिसे आम जनता के लिए 1 जनवरी 1987 को इसे देखने के लिए पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था।

लोटस टेंपल की सबसे बड़ी खूबी है कि यहां पर सभी धर्मों के लोग इस मंदिर के परिसर में बैठकर शांतिपूर्वक प्राथना और ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं l

लोटस टेंपल का परिसर इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ 2400 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इस सुंदर कमल की आकृति वाले मंदिर में 4 कुंड है जिसमें हमेशा स्वच्छ नीला जल भरा रहता है।

यह जमीन से 20 फीट की ऊंचाई पर बना है जिस तक पहुंचने के लिए सुंदर लाल पत्थर की सीढ़ियां बनी हुई है।लोटस टेंपल दुनिया का ऐसा मंदिर है जिसमें किसी भी धर्म की कोई भी मूर्तियां छवि अंदर नहीं लगाई गई है।

लोटस टेंपल में संगमरमर के पत्थरों से मिलकर बनी कमल की 27 पंखुड़ियां है जिसमें अंदर जाने के लिए 9 रास्ते बनाए गए हैं। लोटस टेंपल की खूबसूरती का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसमें तकरीबन 10000 विभिन्न आकार के सफेद मार्बल संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है।