पहाड़ों पर भी मैदानी खेतों की तरह ही कई प्रकार की विभिन्न फैसले जैसे धान , जो, बाजरा, मकई के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की हरी पत्तेदार साग- सब्जियों की भी खेती पहाड़ों पर की जाती है।

लेकिन यहां पहाड़ों परइस इन फसलों को उगाने के लिए सीढ़ी नुमा खेत बनाए जाते हैं जिन्हें पर्वतों परऊंचाईसे ढलान की तरफइन्हें छोटे-छोटेपार्ट्स में बनाकर

और इनमें पानी को रोकने के लिए पगडंडी तैयार करके इनमेंप्रमुख खेती की जाती है । जिससे की सिंचाई के समय इनमें पानी सही समय पर फसलों को मिल जाता है

औरफसल को तैयार किया जाता है। पहाड़ों परइन बने सीढ़ी नुमा खेतोंकी सुंदरता दूर से देखने में अद्भुत सुंदरदिखाई देती है।

पहाड़ों पर धान की भी खेती खूब की जाती है जिसके लिए पहले धनके छोटे-छोटेपौधों को एक ही सीढ़ीनुमा   खेत में तैयार कर लिया जाता है

और जब धान के पौधे 5 से 6 इंच की ऊंचाई तक बढ़ जाते हैं तब इन्हें उखाड़ कर इन्हेंछोटे-छोटे बण्डल  में बांध लिया जाता है औरपहाड़ों पर पहले से तैयार करकेऔर पानी भरकर

इन  सीढ़ीनुमा   खेत में इन धान के इन छोटे-छोटे पौधों को रोपाई किया जाता है और समय-समय पर उनकी निकाय गुणी की जाती हैजिस की 3 से 4 महीने के अंदरधान की फसलपूरी तरह पककर तैयार हो जाती है

और इन्हेंकाटकरइससे निकले चावल लोगों कोखाने के लिए इकट्ठा कर लिया जाता है। इसी प्रकार सीढ़ी नुमा खेतों पर

मौसम और ऋतुओं के अनुसार हरी -पत्तेदार साग सब्जियों को भी उगाया जाता है।जब मौसमबरसात का धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, तब इन पहाड़ी सीढ़ीनुमा   खेत में

हरी  पत्तेदार सब्जियों के छोटे-छोटे पौधों को लगा दिया जाता है और इन्हें  समय पर सिंचाई करके इन्हें तैयार कर लिया जाता है

और इन् तैयार हुई शब्जियों को  बेचने के लिएऔर खाने के लिए घरों के साथ-साथ मार्केट में इन्हें  भेज दिया जाता है।