इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ला रही है सब्सिडी नई नीति 2024-25:

 इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी नई नीति 2024-25|Electric Vehicle Subsidy New Policy 2024-25:-

 

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा फेम 2 सब्सिडी, को पिछले वर्ष लागू किया गया था जो की इस वर्ष यानी 2024 में मार्च महीने में पूरी तरह से खत्म हो जाएगी । लेकिन इसको और आगे बढ़ाने और इस वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार द्वारा फेम 3 को लागू करने की पूरी संभावना है जिसके आते ही दो पहिया वाहन और बस के साथ ट्रक व अन्य कमर्शियल वाहनों की बिक्री पर भी सरकार द्वारा पहले की तरह सब्सिडी दी जा सकती है ।

 नए वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार  फेम-3 में 10000 करोड रुपए का आवंटन कर सकती है:-

सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जा रही सब्सिडी का फेम 2 चक्र मार्च 2024 में खत्म हो रहा है ऐसे में सरकार द्वारा दी जा रही इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों इलेक्ट्रिक कारों बसों की बिक्री पर मिलने वाली सरकारी सब्सिडी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी लेकिन वही आने वाले 2024-25 के नए वित्त वर्ष में से सरकार द्वारा फेम 3 इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जाने वाली सब्सिडी की शुरुआत कर सकती है ऐसा सूत्रों के हवाले से खबर निकलकर सामने आ रही है जिसके अनुसार सरकार दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों करो, बसों  के साथ इलेक्ट्रिक ट्रक व अन्य कमर्शियल वाहनों की बिक्री पर भी सब्सिडी सरकार के द्वारा दी जा सकती है । सरकार द्वारा यदि इस फैसले पर पूरी तरह से मोहर लग जाती है तो आने वाले नए वित्त वर्ष 2024 में इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ इसकी खरीदारी में भारी उछाल देखने को मिल सकता है जिससे कि वर्तमान समय में उत्पन्न हो रहे डीजल पेट्रोल के वाहनों से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकती है, जिसके लिए सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है ।

 

2021 में 1.02 प्रतिशत थी इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी जो कि 2023  में बढ़कर 6.38 प्रतिशत हो गई:

हाल ही में मिली एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में जहां 2021 में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी मात्र 1.02% थी वही यह 2023 में बढ़कर 6.38% हो गई पापा इतना ही नहीं सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए इस पर लगातार काम कर रही है और अपनी तरफ से 2024 के वित्त वर्ष में भी सरकार ने पहले की तरह दी जा रही सब्सिडी को जारी रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर सब्सिडी देती रहेगी वहीं सरकार की तरफ से आने वाले 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को 30% तक ले जाने की योजना है जिससे कि वर्तमान समय में डीजल- पेट्रोल के वाहनों  से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी कई प्रकार की समस्याओं से निपटा जा सके ।

भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग से मैन्युफैक्चरिंग नीति लाने की है योजना:

विश्व भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते क्रेज को देखते हुए भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग पर अलग से नीति लाने की तैयारी की जा रही है जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पहले से चल रही फास्ट एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग आफ इलेक्ट्रिक व्हीकल (फेम) नीति के साथ-साथ प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव यानी (पी एल आई ) नित से इसे बिल्कुल अलग तरह से पेश पेश करने की संभावना है । सरकार इस नई नीति को लाकर वैश्विक पटल पर इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जैसे अमेरिका की टेस्ला और वियतनाम की इलेक्ट्रिक कंपनी विन फास्ट को भारत में निवेश के लिए लाना चाहती है । सरकार द्वारा ऐसा इसलिए निर्णय लिया जा रहा है क्योंकि जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए पहले से बनाई गई नीति को बड़ा बल मिला है, जहां एक तरफ वर्ष 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल बिक्री 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का 50% ज्यादा देखने को मिला था जिसके आधार पर आने वाले 2024 और 25 में इलेक्ट्रिक वाहनों के लगातार बढ़ रहे वैश्विक लेवल पर डिमांड को देखते हुए लिया गया है ।

 

टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों को सरकार की तरफ से कोई बड़ी छूट नहीं देने की है संभावना:

हाल ही में सूत्रों से मिले सूचना के आधार पर सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रस्तावित नीति में टेस्ला कंपनी को कोई भारी भरकम छूट नहीं देने जा रही है जिससे कि टेस्ला कंपनी जो कि भारत में आना चाहती है उसे पर सरकार द्वारा यह सामान्य नीति लागू होगी । भारत सरकार द्वारा टेस्ला कंपनी द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने की जो योजना है उसे पर सरकार इलेक्ट्रिक कारों के आयात शुल्क में छूट से मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो सकती है इसके लिए सरकार द्वारा एक और विकल्प पर विचार किया जा रहा है कि टेस्ला कंपनी से बैंक गारंटी ली जा सकती है जिसके आधार पर एक निश्चित समय के बाद अगर वह भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू नहीं करती है तो उसे आयात शुल्क का लाभ वापस से ले लिया जाएगा ।

 

 

 

 

 

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