द्रोपदी मुर्मू की अनसुनी कहानी:

द्रोपदी मुर्मू का जीवन परिचय ! (Biography of Draupadi Murmu):-

द्रोपदी मुर्मू की अनसुनी कहानी :-द्रोपदी मुर्मू का जन्म उड़ीसा के मयूरभंज गांव 20 जून 1958 में हुआ था। द्रोपदी मुर्मू का जीवन सभी गरीब वर्ग के महिलाओं के लिए एक पथ प्रदर्शक है, जिन्होंने एक गरीब परिवार में जन्म लेकर समाज की कई महत्वपूर्ण इकाइयों में भाग लेकर समाज सेवा की जो कि आज एक मिसाल बन रही है। 64 वर्ष की द्रोपदी मुर्मू ने अपने जीवन में न सिर्फ गरीबी से उठकर लोगों की सेवा की इसके साथ-साथ उन्हें विनम्रता, दया, करुणा जैसे कई सारे गुण पहले से ही मौजूद थे जिसके कारण वह समाज में अथक सेवारत रहते हुए आज सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
द्रोपदी मुर्मू उड़ीसा के मयूरभंज में एक छोटे से मकान में रहती थी। उड़ीसा के एक छोटे से गांव में ही मुर्मू का जीवन साधारण लोगों के बीच बीता और उन्होंने अपने सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों को भलीभांति समझ कर ना सिर्फ अपने गांव के जरूरतमंदों की सेवा की इसके अलावा वह अपने क्षेत्र के सभी गरीब मध्यम निम्न वर्ग के लोगों के लिए कई प्रकार की सामाजिक सेवाएं करती आई हैं, वह अब राष्ट्रपति भवन में रहेंगी, क्योंकि 330 एकड़ में फैले इस राष्ट्रपति भवन में उनके सामाजिक कार्य और सेवा की भावना से उन्हें यह महत्वपूर्ण गौरव हासिल होने जा रहा है।
इस राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे हैं और इस राष्ट्रपति भवन का गार्डन ही सिर्फ 190 एकड़ में फैला हुआ है , जिसमें 750 कर्मचारी लगातार वर्ष भर काम करते  रहते  हैं। हाल ही में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए द्रोपदी मुर्मू ने अपना नामांकन पत्र भरा है जिसमें यदि द्रोपदी मुर्मू  यह चुनाव जीत जाती है तो वह ऐसी देश की पहली राष्ट्रपति होंगी जिनका जन्म भारत देश की आजादी के बाद  हुआ था। द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में कई राजनीति की सफलताएं इसलिए भी पाई है क्योंकि उनके द्वारा किए गए सभी प्रकार के कार्यों ने बड़े से बड़े वर्ग के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और उनकी सेवाओं के चर्चा आज भी बड़े-बड़े नेता और अधिकारी हमेशा करते हैं। 

द्रोपदी मुर्मू का पारिवारिक जीवन और संघर्ष:

द्रोपदी मुर्मू ने अपने जीवन में पाया कम और खोया ज्यादा है उनके जीवन की कई सारी मिसाले आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है वह हमेशा एक संघर्षशील महिला रही है वर्ष 2009 में अपने 25 साल की उम्र में इकलौते अपने बेटे की असमय मौत हो जाने से वह काफी समय तक डिप्रेशन तनाव में चली गई थी।

इन्हीं दिनों में  द्रोपदी मुर्मू ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ ही जुड़े जिसमें वह शांति में जीवन और लोगों की सेवा के लिए एक मिसाल बनती चली गई। लेकिन कुछ समय बाद ही वर्ष 2013 में एक सड़क दुर्घटना में उनके दूसरे बेटे की मृत्यु हो गई इससे उनको बहुत गहरा सदमा लगा और वह एक बार फिर दुखों की मारी और जीवन पथ से भटकी हुई अपने आपको महसूस करने लगी। समय-समय पर द्रोपदी मुर्मू की इन्हीं पहाड़ जैसी समस्याओं ने उन्हें फौलाद सा बना दिया, अपने दूसरे बेटे की मृत्यु के कुछ समय बाद ही उनकी मां की मृत्यु हो गई उसके बाद घर में बचे हुए उनके भाई की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई इतना ही नहीं इन सभी घटनाओं के ठीक 1 साल बाद उनके पति  की भी मृत्यु हो गई जिससे वह निसप्राणहीन सी हो गई।

इन घोर अंधकार भरी विकट परिस्थितियों से निकलने के लिए अब द्रौपदी मुर्मू के पास कोई रास्ता नहीं बचा था, लेकिन कहते हैं कि भगवान  जीवन का एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरा दरवाजा  खोल भी देता है। इन्हीं सब मुसीबतों और घोर अंधकार से निकलने के लिए उन्होंने अपने जीवन में अध्यात्म के मार का सहारा लिया कुछ समय अध्यात्म में रहने के साथ-साथ उन्होंने योग करना भी शुरू कर दिया। कहते हैं कि योग और अध्यात्म में इतनी शक्ति होती है कि इंसान को फिर से नया जीवन मिल जाता है इन्हीं यथार्थ शक्तियों ने द्रोपदी मुर्मू को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और वह लगातार सामाजिक सेवा करते हुए वर्ष 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल नियुक्त की गई। 

द्रोपदी मुर्मू की शिक्षा Education:

वर्ष 1979 में भुवनेश्वर के रामा देवी महिला कॉलेज से द्रोपदी मून ने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया।भुवनेश्वर से ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद उन्होंने अपने कौशल का और ज्ञान के आधार पर अपनी पहली नौकरी ओड़िशा के सिंचाई विभाग में बतौर एक कलर के रूप में पाई जिसको उन्होंने बखूबी तरीके से समर्पण भाव से किया। इसके कुछ समय बाद उन्होंने अपने जीवन की सैनिकों चढ़ना स्टार्ट कर दिया और वह अपनी पहली नौकरी को कुछ समय करने के बाद अपने गृह जिले के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त की गई जिस पर उन्होंने कई वर्षों तक काम किया। 

द्रोपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर:

इन सभी कामों को करते हुए वर्ष 1997 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और उड़ीसा के मयूरभंज के रायरंगपुर District से वह बतौर पार्षद चुनी गई, जो कि उनकी दिव्य छवि और उनके  सामाजिक कार्यों के प्रति उनका अनूठा प्रेम और निस्वार्थ कर्म के कारण लोगों ने उनको खूब सराहा और उनको राजनीति में अपना पहला कदम रखने का मौका प्रदान किया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।

अपने जीवन के इन्हीं सामाजिक कार्यों के बीच  वह अपने क्षेत्र मयूरभंज से दो बार बतौर विधायक चुनी गई इसके बाद वर्ष  2000 और 2004 के बीच ओडिशा सरकार की राज्य मंत्री के पद पर काम किया। इसके ठीक 1 साल बाद वर्ष 2015 में वह झारखंड की राज्यपाल नियुक्त की गई। वर्ष 2015 में वह अपने कार्य काल के दौरान राष्ट्रपति भवन में रामनाथ कोविंद से उनकी मुलाकात भी हुई जिसकी प्रेरणा से उन्होंने अपने नैतिक मूल्य और कर्तव्य की छाप सभी पर छोड़ी। 

द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त सम्मानित पुरस्कार:

वर्ष 2007 में द्रोपदी मुर्मू को उनके सर्वश्रेष्ठ विधायक पद के लिए ओडिशा विधानसभा द्वारा नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं द्रोपदी मुर्मू को उनके सेवारत भावना और समर्पण कार्यों के लिए उनको एक प्रेरणा का स्रोत माना जाता है। उन्हें समय-समय पर सामाजिक कार्यों के लिए बड़े-बड़े नेताओं द्वारा किसी भी काम को शुभारंभ करने के लिए जरूर बुलाया जाता था l उनके इन्हीं सामाजिक और न्यायिक कार्यों से प्रभावित होकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी द्रोपदी मुर्मू कि कई बार खुलकर तारीफ की है जो कि उनके सदाचार,और उनके द्वारा किए गए आदर्श कार्यों को दर्शाता है।

FAQ:

 Q.द्रोपदी मुर्मू का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans. द्रोपदी मुर्मू का जन्म उड़ीसा राज्य के मयूरभंज   गांव में 20 जून 1958 को हुआ था।

Q. द्रोपदी मुर्मू के पति का नाम क्या है?

Ans: द्रोपदी मुर्मू के पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है।

Q. द्रोपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी से कब जुड़ी?

Ans. द्रोपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी से 1957 से जुड़ी हुई है।

Q. द्रोपदी मुर्मू के पिताजी का नाम क्या हैं?

Ans. द्रोपदी मुर्मू के पिताजी का नाम विराजी नारायण टुडू है जो कि एक अनुसूचित जनजाति परिवार से हैं l

Q. द्रोपदी मुर्मू कौन है?

Ans. वर्तमान में द्रोपदी मुर्मू एनडीए NDA द्वारा घोषित भारत के अगले राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है।

Q. झारखंड की पहली महिला राज्यपाल कौन है?

Ans. झारखंड की पहली महिला राज्यपाल का गौरव द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त हुआ है l

 

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