भारत में जल्दी ही आने वाले हैं बिना छुए संचालित होने वाले एटीएम (ATM) मशीनें:आवश्यकता आविष्कार की जननी है, किसी भी नए प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने के बाद उससे बेहतर प्रोडक्ट्स लाने के लिए कंपनियां हमेशा तैयार रहती हैं और उसमें अपना BEST दे कर के उपभोक्ताओं तक उनको जितना ज्यादा सरल हो सके उनके हिसाब से मशीनों को तैयार करके उन तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
क्या कभी किसी ने कल्पना की थी कि एक छोटा सा मोबाइल फोन दुनिया में एक नई क्रांति ला देगा लेकिन वर्तमान समय में यही सच साबित हुआ है पहले कीपैड फोन आते थे , और बाद में इसका स्थान टच मोबाइल फोन ने ले लिया इसके साथ- साथ अब TUCH टच फोन मार्केट में उपलब्ध है ।
इनको अब सेंसर की मदद से बिना टच किए भी संचालित किया जा सकता है इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए हाल ही में वैज्ञानिकों ने बिना छुए संचालित होने वाले एटीएम मशीनों के निर्माण में सफलता पाई है जोकि वर्तमान समय की आवश्यकता को देखते हुए एक बहुत बड़ी खोज हुई है इससे न सिर्फ केवल करो ना वैसे संकटकाल में इस्तेमाल में होने वाली मशीनों से लोगों को मेडिकल जैसी सुविधा मिलेगी बल्कि इनके आ जाने से अन्य रोगों से होने वाले संक्रमण से भी बचा जा सकता है।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी मैं जिस तरह से सुधार हो रहा है , उससे आने वाले कुछ ही समय में हर तरह की मशीनों में एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके उसको आधुनिक बनाया जा रहा है, इसी का एक जीता जागता उदाहरण है आधुनिक बिना टच किए हुए उपयोग में लाई जाने वाली एटीएम मशीन , जिनको नया प्रारूप देने के लिए अब उनके पैनल को बिना टच किए ही सिर्फ सेंसर की माध्यम से इनको संचालित करने के लिए विकल्प खोजा जा रहा है |
भारतीय वैज्ञानिकों ने एटीएम जैसे टचस्क्रीन मशीन को बगैर टच किए संचालित करने के लिए एक नई तकनीक विकसित कर ली है जिसमें बिना टच स्पर्श किए ही इस मशीन को 9 सेंटीमीटर की दूरी से ही अपने ऊपर या आसपास मंडराने वाली किसी छाया वस्तु की आभास को स्वीकार कर लेगा यानी आसपास की वस्तुओं का निरीक्षण करके इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से मशीन कोसंचालित करने का बेहतरीन विकल्प वैज्ञानिकों द्वारा खोज लिया गया है। अब यह तकनीक को एटीएम मशीनों में उपयोग करके एटीएम को स्वचालित सेंसर युक्त मशीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सफलता विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से प्राप्त की है इस तकनीक के माध्यम से ना केवल करोना जैसी महामारी के समय में एटीएम मशीन को सुरक्षित तरीके से इसका इस्तेमाल आसान हो जाएगा बल्कि आने वाली अन्य कई समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाएगा।
इस आविष्कार को खोज कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी खोज योगी की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़े जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च जेएनसीएएसआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर यू कुलकर्णी के अथक प्रयासों से इसमें बड़ी सफलता मिली है इसमें पेटर्निंग तकनीक से एक ऐसी लचीली एथिलीन Terefthlete ( पीईटी) सबस्ट्रेट पर इंटरडिजिटेटेड इलेक्ट्रोड (IDE) विकसित की है जो 9 सेंटीमीटर नजदीक आने पर स्पर्श संवेदन क्षमता के जुड़े सेंसर को सतर्क कर देती है इस दौरान जो भी वस्तु या चीज इसके आसपास या नजदीक में होती है यह उसको पकड़ लेती है इसी तकनीक पर वैज्ञानिकों ने इस को विकसित किया है।
इस प्रोजेक्ट में बेंगलूर स्थित नैनो एवं सॉफ्ट मैटर साइंसेज सी ई एन एस मैं भी अपना सहयोग प्रदान किया है। इन दोनों संस्थानों ने मिलकर एक अर्ध स्वचालित उत्पादन संयंत्र भी स्थापित किया है जो किफायती प्रिंटिंग एडिट पैटर्न लगभग 300 माइक्रोन रिवॉल्यूशन के तहत पारदर्शी इलेक्ट्रोड का उत्पादन कर सकने में सक्षम होंगे इस सफलता के बाद दोनों संस्थानों ने इन डिवाइसों के कुछ प्रोटोटाइप भी बनाने में सफलता पाई है जिससे आने वाले कुछ ही समय में इसको और अधिक उपयोगी बनाकर एटीएम जैसी मशीनों के नवनिर्माण में यह अहम भूमिका निभाएगा।
बताते चलें कि मंत्रालय के मुताबिक देश के वैज्ञानिकों का यह शोध कार्य हाल ही में एक वैश्विक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिसमें इसको विस्तार से बताया गया है यदि इस तरह की टेक्नोलॉजी भारत में विकसित हो पाती है तो यह न सिर्फ भारत की टेक्नोलॉजी में एक नई क्रांति साबित होगी बल्कि इसी पैटर्न के आधार पर आने वाले अन्य कई सारे उपकरणों को भी आधुनिकतम रूप प्रदान किया जा सकता है।