भारत 14 जुलाई 2023 को लांच करेगा चंद्रयानए-3 Mission मिशन, फिर से सभी की बढ़ने लगी धडकनें :-

 भारत 14 जुलाई 2023 को लांच करेगा चंद्रयानए-3 Mission मिशन, फिर से सभी की बढ़ने लगी धडकनें :-चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर अबूझ पहेलियों को खोजने के लिए अब तक भेजे गए कई देशों द्वारा मिशन पूरी तरह से फ्लॉप रहे हैं इसी ,कड़ी में भारत ने भी chandrayaan-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया था लेकिन यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर मिशन कंट्रोल सिस्टम से संपर्क टूटने के कारण क्रैश हो गया था। भारत में इस chandrayaan-2 मिशन पर कुल 900 करोड रुपए खर्च किए थे और यह इतना बड़ा मिशन बस चंद पलों में थोड़ी सी तकनीकी गड़बड़ी के कारण असफल रहा था लेकिन इन्हीं सब असफलताओं से सीख लेते हुए भारत ने हाल ही में चंद्रयान 3 मिशन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली है और जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक भारत चंद्रयान 3 मिशन को 14 जुलाई से लेकर 19 जुलाई के बीच कभी भी लांच कर सकता है। लेकिन हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक ISRO 14 जुलाई २०२३ को चंद्रयान 3 मिशन  Mission लांच करेगा । भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने पिछले chandrayaan-2 की गलतियों से सबक लेते हुए chandrayaan-3 मिशन में कई तरह के अहम बदलाव किए हैं जिसके अंतर्गत 

चांद की सतह पर  लेंडर अपने साथ रोवर को लेकर उतरेगा और वहां के आसपास भौगोलिक वातावरण के साथ-साथ चंद्रमा के तापमान और वहां पर मौजूद कणों की बारीकी से जांच करके पृथ्वी तक उनकी इंफॉर्मेशन भेजेगा। यदि भारत का चंद्रयान mission 3 सफल रहा तो भारत चीन, अमेरिका रूस के बाद चन्द्रमा  की सतह पर सफल लैंडिंग करने वाला  चौथा देश  बन जायेगा।

 

चंद्रयान 3 में होंगे तीन मॉड्यूल जो chandrayaan-2 की गलतियों से सबक लेते हुए और ज्यादा बेहतर बनाए गए हैं: –

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक chandrayaan-3 में तीन मॉडल होंगे जिसमें प्रोपल्सन,  लैंडर और रोवर प्रमुख रूप से अपनी भूमिका  निभाएंगे l इसमें प्रोपल्शन का मुख्य कार्य मॉडल में स्पेक्ट्रो पोलरीमेंट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ शेप पेलोड होगा। इसका प्रमुख काम चांद की कक्षा से पृथ्वी का संपूर्ण अध्ययन करना होगा वहीं लैंडर में चांद की सतह व वातावरण के अध्ययन के लिए तीन प्रकार के पेलोड होंगे जो कि चंद्रमा से जुड़ी वहां के वातावरण भौगोलिक स्थिति तापमान वहां पर पाए जाने वाले करो का विस्तृत अध्ययन करना इसका काम होगा। इसके साथ साथ इसमें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक पेलोड जोड़ा जाएगा। रोवर में दो पेलोड मौजूद होंगे जो की लैंडिंग साइट के आसपास का संपूर्ण अध्ययन करेंगे और उनकी जानकारी पृथ्वी तक भेजेंगे प्रोपल्शन मॉडल चांद की सतह से 100 किलोमीटर दूर से लैंडरोवर को छोड़ देगा इसके बाद लैंडर अपने साथ रोवर को लेकर चांद की सत्ता पर स्मूथली लैंड करेगा और वहां रोवर उससे अलग होकर पहले चांद की सत्ता पर कुछ दूर चलेगा और फिर वहां के भौगोलिक वातावरण और वहां के तापमान चलने वाली हवाओं और कई प्रकार की अहम जानकारी एकत्रित करके पृथ्वी के अनुसंधान अंतरिक्ष केंद्र तक भेजेगा।

चंद्रयान 3 मिशन लॉन्चिंग के लिए मौसम को ध्यान में रखते हुए 13 से 19 जुलाई के बीच का समय तय किया गया है: –

 

चंद्रयान 3 मिशन लॉन्चिंग के लिए जो समय निर्धारित किया गया है उसमें लगभग 1 सप्ताह का समय इसलिए लिया गया है कि मौसम के मिजाज को देखते हुए चंद्रयान 3 मिशन की लॉन्चिंग में थोड़ी देरी हो सकती है इसी के अंतर्गत चंद्रयान 3 लॉन्चिंग की डेट को 13 से लेकर 19 जुलाई के बीच रखा गया है जिससे कि चंद्रयान 3 लॉन्चिंग के समय मौसम और किसी अन्य प्रकार की स्थितियों का किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न ना हो सके।

इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि हमने chandrayaan-2 की गलतियों से बहुत कुछ सीखा है जिसको चंद्रयान chandrayaan-3 में बेहतर तरीके से सुधारा गया है: –

 

इसरो प्रमुख एवं सोमनाथ ने मीडिया को बताया कि उन्होंने chandrayaan-2 मिशन में मिली असफलता से कई सीख लेते हुए chandrayaan-3 मिशन में कई अहम बदलाव किए हैं जो कि आने वाली कई समस्याओं से पूरी तरह से निपटने में सक्षम होंगी और chandrayaan-3 मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने यह भी कहा कि असफलता मिलने का मतलब यह नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें chandrayaan-2 से मिली असफलताओं ने हमें बहुत कुछ सीखने का अवसर दिया है और chandrayaan-3 में उन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखकर कई अहम बदलाव किए गए हैं और इसमें एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ-साथ उन सभी बारिक पहलू को जोड़ा गया है जिससे कि chandrayaan-3 सफल हो सके। यदि सब कुछ सही रहा तो हम इतिहास रचने में जरूर कामयाब हो पाएंगे।

 

5/5 - (1 vote)

Leave a Comment