मर्सिडीज़-बेंज का इतिहास एक झलक में:-
मर्सिडीज़ कार के यदि इतिहास की बात करें तो मर्सिडीज़ बेंज कlर का इतिहास बेहद ही रोचक रहा है, जिसमें 19वीं सदी में ट्रांसपोर्ट के लिए लोग एक जगह दूसरी जगह आने जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर घोड़ा गाड़ी से कम चलाया करते थे। इसी 19वीं सदी में साइकिल को जीवाश्म ईंधन से चलने के लिए और उसे एक गाड़ी का शक्ल देने के लिए गोत्लिएब दमलर और कार्ल बेंज विचार कर रहे थे। गोत्लिएब दमलर और कार्ल बेंज जर्मनी में रहे लेकिन वह दोनों एक दूसरे से कभी नहीं मिले थे। बेंज ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1883 में अपने नाम की कंपनी खोली और 1886 में मोटर वैगन के नाम से अपना इंजन पेटेंट करवा लिया वहीं दूसरी तरफ डेमलर और उनके दोस्त विलिहेम मेबैक ने 1890 में डीएमजी DMG नाम की कंपनी खोली,
डैमलर की कंपनी ने सबसे पहले एक ऐसा इंजन बनाया था जिसको मोटरसाइकिल या फिर किसी भी मोटरसाइकल ,ट्रॉली और नाव के साथ जोड़कर चलाया जा सकता था कुछ दिनों बाद डेमलर की मौत हो गई और उनकी मौत के बाद उनके दोस्त विलिहेम मेबैक ने कंपनी का कारभार संभाला , प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो जाने की वजह से यह दोनों कंपनियां बंद हो गई और इससे कारों के प्रोडक्शन पर इसका बुरा असर पड़ा । दोनों कंपनियां ने इस घाटे से उबर के लिए 28 जून 1926 में दोनों ने मिलकर मर्सिडीज़ बेंज w15 बनाई जिसने इतिहास की नींव रखकर मर्सिडीज़-बेंज कार के प्रोडक्शन की शुरुआत की, और पहले ही प्रोडक्शन में मर्सिडीज बेंज ने 7000 अपनी लग्जरीज गाड़ियां मार्केट में बेचकर एक नया इतिहास रचा था।
मर्सिडीज़-बेंज का नाम प्रमुख रूप से उस समय जर्मनी में बिजनेसमैन रहे एमिल जेलेनिक को इसका श्रेय जाता है जो की कl र रेसिंग और कारों के बहुत शौकीन थे l 1901 में एक कार रेस के दौरान उन्होंने डेमलर – बेंज की 36 कारों को खरीद लिया था इसके बदले में कंपनी के सामने उन्होंने एक शर्त रख दी
एमिल ने कहा कि कार कंपनी अपने नाम के आगे उनकी अपनी बेटी का नाम लगाए, एमिल की बेटी का नाम मर्सिडीज़ जेलीनेक था कंपनी उनके इस प्रस्ताव को मान गई और तब से मर्सिडीज़ बेंज कार के नए नाम की नई शुरुआत हुई l
मर्सिडीज़ बेंजीन 1910 में जारी किया था अपना पहला LOGO लोगो
मर्सिडीज़-बेंज कंपनी ने अपना लोगो इसकी क्वालिटी और इसकी अलग पहचान बनाने के लिए इस पर गहरी रिसर्च की थी , मर्सिडीज़-बेंज का लोगो देने का श्रेय गो टबिल डैमलर को जाता है जिन्होंने एक गोले में घिरे 3 पॉइंट वाले स्टार को सबसे पहले डिजाइन किया था, यह डिजाइन जमीन पर समुद्र में और हवा में डेमलर इंजन की उपयोग का खास प्रतीक हुआ करता था। मर्सिडीज़ बेंज ने अपना पहला लोगों 1910 में जारी किया था और तब से लेकर आज तक इसका लोगो लग्जरियस लोगों में से एक माना जाता है।
भारत में मर्सिडीज की शुरुआत 1994 में हुई थी मर्सिडीज़-बेंज ने अपना पहला मैन्युफैक्चरिंग कर प्लांट पुणे शहर में लगाया था वहीं भारत में बनी मर्सिडीज़ बेंज की पहली कर w124 था जिसको 1995 में इंडिया में लॉन्च किया गया था।
मर्सिडीज़-बेंज की फर्स्ट डीजल कार भारत में:-
भारत में पहले राजाओं महाराजाओं का शासन हुआ करता था l भारत में कई ऐसे राजा महाराजा के परिवार आज भी अपनी शान और शौकत के लिए जाने जाते हैं जिसमें मेवाड़ के राजघराने में मर्सिडीज बेंज की सबसे पहले फर्स्ट डीजल मर्सिडीज़-बेंज कार लाई गई थी जो कि आज भी आपको मेवाड़ के राजघराने के विंटेज कर कलेक्शन में आपको देखने को मिल जाएगी।
मर्सिडीज़ बेंज की फर्स्ट डीजल कार Features :-
मर्सिडीज़-बेंज की फर्स्ट डीजल कर के यदि फीचर की बात करें तो इस कार मैं वह सभी पुरातन आधुनिक तकनीक का उपयोग इसमें किया गया था जो कि इस कार्य को बेहद ही सुंदर आकर्षक लुक के साथ-साथ इसमें कई प्रकार की लग्जरियस सुविधा देखने को मिलती थी। मर्सिडीज़-बेंज की पहली डीजल कार के फीचर में आपको फोर्ड व सेडान बॉडी टाइप वर्जन आपको आज भी मेवाड़ के राजघराने की कारों में देखने को मिल जाएगा जिसमें मैन्युफैक्चरिंग ईयर 1956 के मॉडल का बेहतरीन मॉडल आज भी आपको देखने को मिलता है इस कार्य की मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो यह कर जर्मनी में बनाई गई थी वहीं इस कर में आपको मर्सिडीज़ बेंज़ के लोगों के साथ-साथ इसके फ्रंट का लुक देखने में किसी रॉयल राजशी Look जैसा दिखाई पड़ता है।