शिवरात्रि में बेर चढ़ाने का महत्व, श्री राम ने भी खाए थे शबरी के मीठे बेर, इस दिव्य फल की महत्ता जानकर आप भी चौंक जाएंगे:-

 

 

भारत धार्मिक सांस्कृतिक मान्यताओं वाला देश है। भारत में कई महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाते हैं जिनमें प्रमुख रूप से दुर्गा पूजा दशहरा, दीपावली, गणेश चतुर्थी, बसंत पंचमी और सबसे महत्वपूर्ण पर्व शिवरात्रि मनाई जाती है।

भारतीय सभ्यता संस्कृति में महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण पर्व पर भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के रूप में कई महत्वपूर्ण प्रकार के फल और मेवा विशेष रूप से ना सिर्फ केवल लोगों के लिए आस्था का प्रतीक बने हुए हैं बल्कि उनके प्रति बनी हुई लोगों की आस्था के कारण कौन चढ़ाए हुए प्रसाद के रूप में फलों को खाने मात्र से कई प्रकार के गंभीर रोग पूरी तरह से ठीक भी हो जाते हैं इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। 

 

भारत में फरवरी का मौसम शुरू होते ही बसंत पंचमी और शुरुआत शिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण पर्व की खुशी में लोग पहले से ही कई प्रकार की तैयारियां करने लगते हैं और भगवान शिव शंकर को बेलपत्र चढ़ाने के साथ-साथ बेर भी चढ़ाने की प्रथा परंपरा चली आ रही है जिस का महत्व शायद कोई ही जानता हो कि आखिर भगवान शिव शंकर को शिवरात्रि पर बेर का फल क्यों चढ़ाया जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

 

भारत में शिवरात्रि का महत्वपूर्ण पर्व फरवरी महीने में आता है जिसमें महत्वपूर्ण बात यह भी होती है कि यह महीना फागुन का माना जाता है और इसमें प्राप्त होने वाले विशेष फलों में से बेर में न सिर्फ केवल औषधीय गुण पाई जाती हैं बल्कि यह फल इतना दिव्य और चमत्कारिक होता है कि इसमें इतने महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट और कई प्रकार के वायरस इसको पूरी तरह से खत्म करने वाले महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जिनका अभी तक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए हैं। 

 

भगवान श्रीराम ने भी खाए थे जूठे शबरी के बेर:-

 

बेर को शिवरात्रि पर्व पर चढ़ाने मात्र भर से  Shiv प्रसन्न हो जाते हैं ,क्योंकि भोलेनाथ का यह प्रिय फल है, इस फल की महत्ता इस बात से भी है कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान भी माता शबरी के जूठे बेर खाकर इस बेल की महत्व और इस दिव्य फल को सभी फलों में श्रेष्ठ स्थान दिया था ,

यही वजह है कि भगवान भोलेनाथ जो कि श्रीराम के ही दूसरे रूप है उन्होंने इस फल को ना सिर्फ केवल दिव्य फल का दर्जा बल्कि उन्होंने इस फल के चमत्कारिक और दिव्य गुणों के कारण ही अपने भक्तों द्वारा स्वीकार किया और जो भक्त शिवरात्रि के दिन बेलपत्र जो दूध बेर सहित शिवलिंग पर चढ़ाता है भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

 

बेर फल में पाए जाने वाले प्रोटीन और विटामिंस: –

 

बेल में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं इसमें प्रमुख रूप से कई प्रकार के विटामिंस मिनरल्स खनिज पदार्थ एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं जिसकी वजह से बेर कई प्रकार की गंभीर बीमारियों में रामबाण औषधि की तरह काम करता है। यदि बात करें बेर में पाए जाने वाले विटामिंस की तो इसमें प्रमुख रूप से विटामिन-C सी, विटामिन -K, विटामिन-E ई, प्रमुख रूप से पाया जाता है। इसके साथ-साथ देर में प्रमुख रूप से आयरन कैल्शियम मैग्नीशियम फास्फोरस पाया जाता है जो कि दांतों और हड्डियों को बेहद मजबूत बनाता है और शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को भी बढ़ाता है।

 

Q.बेर की तासीर क्या होती है?

Ans:-यदि बात करें बेर की तासीर की तो इसकी तासीर ठंडी होती है , बेर का फल प्रमुख रूप से फरवरी महीने से लेकर मार्च अप्रैल महीने तक प्रमुख रूप से पाया जाता है जो कि खाने में खट्टा मीठा होता है जिसमें प्रमुख रूप से कई प्रकार की विटामिंस पाई जाती हैं यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक के लोग बड़े चाव से इस पल को खाना पसंद करते हैं।

Q. क्या बेर खाने से शुगर बढ़ता है?

Ans:-जी हां यदि आपको शुगर है और आप पके हुए बेर सूखे बेल जो कि खाने में मीठे होते हैं इसको ज्यादा मात्रा में खाते हैं तो इसमें पाए जाने वाला ग्लूकोज की मात्रा के कारण यह शुगर को बढ़ा सकता है लेकिन जिन लोगों को कम मात्रा में शुगर है वह बेर के कम पके हुए खट्टे मीठे फल को खा सकते हैं इससे कोई शुगर नहीं बढ़ता है।

Q बेर का स्वाद कैसा होता है?

Ans. यदि बात करें बेर के स्वाद की तो यह फल खाने में खट्टा मीठा लगता है क्योंकि इसमें प्रमुख रूप से विटामिन सी पाई जाती है इसके अलावा इसमें मौजूद कैल्शियम मिनरल्स खनिज पदार्थों के कारण यह हल्का मीठा भी होता है जो कि खाने में बेहद लजीज लगता है। यदि बात करें अन्य फलों से इसकी तुलना तो इसकी तुलना आप खजूर के फल से कर सकते हैं क्योंकि खजूर का स्वाद और बेल का स्वाद एक जैसा ही लगभग होता है।

 

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