श्रावण महीने में भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है ब्रह्मकमल, इसके दर्शन मात्र भर से बन जाते हैं सभी बिगड़े हुए काम:-

श्रावण महीने में भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है ब्रह्मकमल, इसके दर्शन मात्र भर से बन जाते हैं सभी बिगड़े हुए काम:- ब्रह्म कमल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसके बारे में एक रोचक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु हिमालय क्षेत्र में श्रावण के महीने में आए तो उन्होंने भोलेनाथ को 10000 एक हजार ब्रह्मकमल चढ़ाने का संकल्प लिया। लेकिन जब भगवान विष्णु ने ब्रह्म कमल पुष्प भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाने लगे तो उसमें से एक पुष्प हमेशा कम हो जाता था। तब भगवान विष्णु ने उसके रूप में अपनी एक आंख भोलेनाथ को समर्पित कर दी जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने विष्णु भगवान के सामने प्रकट होकर उन्हें कमलेश्वर नाम से पुकारा, और तभी से विष्णु भगवान का एक नाम कमलेश्वर पड़ा।

 

ब्रह्म कमल की उत्पत्ति 14 वर्षों में मात्र एक बार होती है जोकि साधारण जगह पर नहीं खिलता है बल्कि यह ब्रह्मकमल भगवान भोलेनाथ की सर्वाधिक प्रिय जगह हिमालय की वादियों में खिलता है, जिसकी अद्भुत अलौकिक और बेहद सुगंध की वजह से यह पुष्प बेहद दुर्लभ माना जाता है, एक मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति ब्रह्म कमल के पुष्प का दर्शन कर लेता है उसके जीवन में धन- वैभव, संपदा- सुख की वृद्धि होने लगती है क्योंकि यह भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु की अनोखी शक्तियों का  उनके भक्तों पर एक अद्भुत कृपा मानी जाती है। 

 

ब्रह्म कमल इतना दुर्लभ होता है कि हिमालय की वादियों के बीच 3000 मीटर की ऊंचाई पर सिर्फ रात के समय में खिलता है और सुबह होते ही इस का फूल कामुक बंद हो जाता है। वहीं यदि इस दिव्य अलौकिक अद्भुत ब्रह्म कमल के खेलने के समय की बात करें तो यह ब्रह्म कमल गर्मी और सावन के मौसम में यानी मई-जून से लेकर अगस्त सितंबर के मौसम में खिलता है जिसके दर्शन करने मात्र भर से लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलता है। यही वजह है कि भारतीय वेदों पुराणों से लेकर आज तक लोग ब्रह्मकमल को देखने भर मात्र के लिए हमेशा आतुर रहते हैं और कई पुण्य आत्मा जिनको भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु की कृपा उन पर होती है यह ब्रह्मकमल का साक्षात दर्शन करके लोग इस लोक को छोड़कर परलोक में मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

 

ब्रह्म कमल में पाए जाते हैं दिव्य औषधि चमत्कारिक गुण: –

ऐसी मान्यता है कि ब्रह्म कमल की पंखुड़ियों से अमृत की बूंदे टपकती हैं , जो कि वर्तमान समय में भी यथार्थ सत्य माना जाता है क्योंकि ब्रह्म कमल की पंखुड़ियों से जो पानी की बूंदे टपकती है उसमें मिलने वाले पौष्टिक तत्वों और कई गंभीर रोगों को जड़ से खत्म करने की इसमें शक्ति होती है यहां तक कि इसके पानी को पीने मात्र भर से शरीर की सारी थकान मिट जाती है और शरीर में अलग से शक्ति का संचार हो जाता है ऐसा इसको देखने वाले लोगों ने अपने मुंह से इसकी खूबियों की वर्तमान समय में भी चर्चा की है वहीं यदि बात करें तो ब्रह्म कमल पुरानी से पुरानी काली खांसी के लिए भी किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है l

वहीं कई परीक्षणों और इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व और विटामिंस मिनरल्स कि जब वैज्ञानिकों ने जांच की तो उन्होंने पाया कि इसमें पाए जाने वाले बेहद सूची योगिक तत्वों की वजह से यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के इलाज के लिए भी रामबाण औषधि है जिसके सेवन मात्र भर से लोगों के जीवन में एक अलग ऊर्जा, और शक्ति का संचार हो जाता है। यही वजह है कि आज भी ब्रह्मकमल लोगों की श्रद्धा आस्था का प्रतीक बना हुआ है जिसे लोग प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन यह दुर्लभ ब्रह्म कमल पुष्प उन्हीं लोगों को प्राप्त हो पाता है जो कि बेहद भाग्यशाली और जिन पर भोलेनाथ की कृपा होती है l

 

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