सर्दियों में फटी हुई एडियों  के लिए वरदान है सिंघाड़ा:

फटी हुई एडियों  की अचूक औषधि:

यदि आप भी फटी हुई एड़ियों से परेशान है और इसे जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं तो आज आपको एक ऐसी देसी आयुर्वेदिक दवाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका उपयोग करके आप अपनी फटी हुई एड़ियों  के बड़े से बड़े रेशे को पूरी तरह से हंड्रेड परसेंट ठीक कर सकते हैं । सर्दियों का मौसम शुरू होते ही शरीर की बाहरी त्वचा शुष्क होने लगती है ऐसे में जिन लोगों के शरीर में खून की कमी, विटामिन Cऔर पौष्टिक तत्वों की कमी होती  उनमें त्वचा से संबंधी विकार उत्पन्न होने लगते हैं जिनमें प्रमुख रूप से होठों का फटना, चेहरे पर चिड़चिड़ापन, और सर्दियों के मौसम में काले धब्बे दिखाई देना जैसे प्रमुख लक्षण दिखने लगते हैं जिसके लिए लोग कई प्रकार के लोशन और क्रीम का इस्तेमाल करते हैं लेकिन फिर भी उनकी यह समस्या पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती है । ऐसे में सर्दियों के मौसम में तालाबों में पाया जाने वाला सिंघाड़ा, सर्दियों में फटी हुई एडियों  के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है बस जरूरत है इसकी सही और किसी विशेष बड़े आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह की ।

सिंघाड़ा में प्रमुख रूप से लोह अयस्क आयरन, फोलिक एसिड, कई प्रकार के सूचना एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के साथ-साथ इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स और खनिज पदार्थ पाए जाते हैं जो कि शरीर के अंदर सर्दियों के मौसम में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने के साथ-साथ शरीर की बाहरी त्वचा को बेहद सॉफ्ट मुलायम और चमकदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

इतना ही नहीं सिंघाड़े के छिलके में कई प्रकार की शूक्ष्म  एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह फटी हुई एड़ियों को पूरी तरह से ठीक करने में बेहद मददगार साबित होता है, इसके लिए आपको सिंघाड़े के कुछ 100 ग्राम छिलकों को अच्छी तरह से सुखा  लेना है उसके बाद इसे जलाकर इसकी बची हुई राख को सरसों के तेल में गर्म करके ठंडा होने पर इसको फटी हुई एडियों के रेशों पर लगाने से मात्र 2  से 3  दिनों में पूरी तरह से फटे हुए रेशे  पूरी तरह से भर जाते हैं और एडिया  बिल्कुल स्मूथ और चिकनी बन जाती हैं ।

वहीं इस बने हुए पेस्ट को रात को सोते समय चिड़चिड़ी फटी हुई होठों पर मात्र थोड़ी मात्रा में लगाने से ही होंठ पूरी तरह से स्वस्थ बन जाते हैं । लेकिन यहां पर कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि इस सिंघाड़े के छिलके को सुखाकर और फिर इसको जलाकर बनाई गई राख और सरसों के तेल के मिश्रण से बनाया गया यह पेस्ट स्वास्थ्य को हानि तो नहीं पहुंचाएगा तो इसके लिए आपको बताते चलें कि, बिल्कुल ही नहीं ! यह पूरी तरह से हंड्रेड परसेंट प्राचीन सभ्यता से लेकर अब तक आयुर्वेद विज्ञान में इस तरह के उपाय के लिए सबसे अचूक और सबसे प्राचीन औषधि मानी जाती है जो की वर्तमान समय में लोगों को सही जानकारी न होने की वजह से वह इस तरह की समस्याओं से हमेशा परेशान रहते हैं और उनके पास उपाय होते हुए भी सही जानकारी ना होती हुई इस अचूक औषधि का फायदा नहीं उठा पाते हैं ।

 

उबले हुए सिंघाड़े खाने से भी मिलता है विशेष लाभ:

भारत में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही अक्टूबर नवंबर महीने में सिंघाड़ा प्रमुख रूप से गलियों और चौराहों में बिकता हुआ नजर आने लगता है । लेकिन इस अनगिनत फायदे वाले सिंघाड़े के बारे में सही जानकारी न होने की वजह से अक्सर कर इस अंदाज कर देते हैं लेकिन उबले हुए सिंघाड़े खाने से शरीर को कई लाभ होते हैं जिनमें प्रमुख रूप से सर्दियों के मौसम में शुष्क और खिचड़ी त्वचा को स्मूथ और चिकन बनाने में यह फल बेहद मददगार साबित होता है ।

वहीं जिन लोगों को  सर्दियों के मौसम में चेहरे पर चिड़चिड़ापन, हल्के काले – रेशे या फिर होंठ फटने जैसी समस्याएं दिखाई देने लगते हैं उनके लिए उबला हुआ सिंघाड़ा किसी रामबाण औषधि से काम नहीं होता है, इसलिए 2  से 3  महीने तक सर्दियों के मौसम में पाया जाने वाला यह सिंघाड़े फल का सेवन उन लोगों को जरूर करना चाहिए जो कि इस प्रकार की गंभीर समस्याओं से हमेशा परेशान रहते हैं और इधर-उधर अंग्रेजी दवाइयां के चक्कर में भटकते रहते हैं ।

सिंघाड़ा फल का महत्व आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि यह नवरात्रों और व्रत त्योहार पर इसकी सूखे हुए फलों के  आटे से जिसे हम (कुट्टू के आटे )के नाम से भी जानते हैं से बनाए गए व्यंजन पकवान का लोग व्रत उपवास में भी सेवन करते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए विशेष लाभप्रद तो  होता ही है , वही इस कुट्टू के आते को अन्न (अनाज) की   श्रेणी में न रखकर फल की श्रेणी मैं इसे मान्यता प्राप्त है, जिसे व्रत उपवास में भी उपयोग में लाया जाता है । यह हमारी प्राचीन सभ्यता संस्कृति और हमारे प्राचीन पौराणिक  ग्रंथों में  इसके फायदे और इसकी विशेषता के बारे में अनेक वर्णन मिलते हैं, जिससे यह पता चलता है कि सच मायने में साफ जल में उगने वाला यह सिंघाड़ा फल कितना लाभदायक और जीवन उपयोगी फल हमारे जीवन में साबित होता है ।

 

डिस्क्लेमर:

सिंघाड़ा फल खाने से शरीर को किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं होता है बल्कि यह कई प्रकार से कई गंभीर बीमारियों में काम आने वाला विशेष उत्तम फल है जो की पूरे साल भर में मात्र 2 से 3 महीने ही उपलब्ध रहता है लेकिन लोगों को सही और सटीक जानकारी न होने की वजह से अक्सर कर सिंघाड़े का नजरअंदाज कर देते हैं और इससे होने वाली कई फायदेयों से वह व्यक्ति चूक जाते हैं जो इसका सेवन नहीं करते हैं ।

कई एक्सपर्ट डॉक्टर भी अब तो यह मानने लगे हैं कि इस साधारण से दिखने वाले पानी के अंदर पाए जाने वाले फल सिंघाड़े में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट तत्व, विटामिन से मिनरल्स खनिज पदार्थ लोह अयस्क आयरन फोलिक एसिड जैसी कई प्रकार की महत्वपूर्ण मिनरल्स और खनिज पदार्थ इसमें पाए जाते हैं जो कि शरीर को अंदर से निरोगी और बाहरी त्वचा को सुंदर और चमकदार बनाने में बेहद मददगार साबित होते हैं लेकिन यहां पर आपको बताते चलें कि ऊपर बताई गई जानकारी केवल तथ्यों और प्राचीन सभ्यता संस्कृति के आयुर्वेद विज्ञान में बताई गई पद्धति के आधार पर इसका वर्णन किया गया है, आज के आधुनिक समय में भी इस तरह के उपाय लोगों को हंड्रेड परसेंट लाभ देते हैं, लेकिन इस लेख में बताई गई जानकारी के आधार पर इसका उपयोग करने से पहले अपने एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह जरूर लें, यहां पर दी जाए रही जानकारी केवल एक सामान्य जानकारी के तौर पर पाठकगणों तक पहुंचाई जा रही है, कृपया अमल में लाने से पहले अपने एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह जरूर लें  लेखक इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा ।

 

 

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