सावन में बेलपत्र का महत्त्व और इसकी धार्मिक मान्यता :- 

सावन में बेलपत्र का महत्त्व और इसकी धार्मिक मान्यता :- बेलपत्र प्रमुख रूप से इसकी आस्था भगवान शंकर से जुड़ी हुई है, बेलपत्र भारत में प्राचीन काल से लेकर आज तक सबसे उत्तम और पूजनीय वृक्ष माना जाता है । जहां तक बेल की उत्पत्ति का सवाल है भारत के प्राचीन ग्रंथों में इसकी उत्पत्ति के बारे में शिव पुराण में इसका वर्णन किया गया है जिसकी उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से बताई जाती है। वहीं कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र के पेड़ में मां पार्वती के सभी रूपों का वास भी बताया जाता है। इसीलिए यह भगवान शिव शंकर को बेहद फ्री प्रिय पौधा होता है। 

 

सोमवार के दिन भगवान शिव शंकर के शिवलिंग पर बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। बेलपत्र को लेकर एक प्रमुख मान्यता प्राचीन काल से ही रही है कि कभी भी सोमवार के दिन बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए नाही की टहनी या डाली को किसी प्रकार की वस्तुओं के निर्माण के लिए भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए इसके करने से व्यक्ति पाप का भागी होता है ऐसी सदियों से मान्यता रही है।

 वहीं कई लोग बेलपत्र को आस्था के प्रतीक के रूप में पूछते भी हैं और गर्मियों के मौसम में बेल के पेड़ से प्राप्त पके हुए फल को पेट से संबंधित समस्याओं के लिए इसका इस्तेमाल खाने के लिए भी करते हैं। वैसे तो बेल का पौधा कई प्रकार से फायदेमंद होता है लेकिन इसमें लोगों की जुड़ी हुई आस्था और विश्वास उनको उससे भी ज्यादा चमत्कारी फायदे पहुंचाता है यही वजह है कि भारत में बेल के पेड़ को घर के आसपास लगाना सबसे उत्तम माना जाता रहा है। 

 

सावन का मौसम शुरू होते ही भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का भी भारत में विशेष महत्व रहा है। वहीं कई मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र दूध और गंगाजल शिवलिंग पर चढ़ाने मात्र भर से सभी प्रकार की मनोकामनाएं भक्तों की पूरी होती है। वहीं कई लोग बेलपत्र को औषधि पत्तियों के रूप में भी भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करके इसको कई गंभीर बीमारियों में भी औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं।

 

बेल वृक्ष की पूजा और धार्मिक महत्व:-

 

 बेल वृक्ष से यदि जुड़ी धार्मिक बातों की बात करें तो इसकी प्राचीनता उतनी ही पुरानी है जितना कि भगवान शिव  की उत्पत्ति और इस संपूर्ण ब्रह्मांड जगत की उत्पत्ति बताई जाती है। भारत में बेल वृक्ष की पूजा विशेष रूप से भगवान शिव शंकर और मां पार्वती की विशेष पूजा अर्चना से जुड़ी हुई है जहां पर लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ  के शिवलिंग के ऊपर गंगाजल और बेलपत्र को चढ़ाते हैं और अपनी मांगी गई मनोकामनाएं भोलेनाथ के सामने रखते हैं और उनको उनके द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं यही वजह है कि बेल वृक्ष की पत्तियों इसके फलों की पूजा का महत्व धार्मिक ग्रंथों वेद पुराणों में प्राचीन काल से ही मिलता रहा है जोकि आज भी विशेष रूप से धार्मिक महत्व के चलते विशेष पूजनीय माना जाता है।

 

बेल वृक्ष एक दिव्य वृक्ष माना जाता है:-

 

बेल वृक्ष को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका जिक्र शिव पुराण में भगवान शिव शंकर और मां पार्वती के संग में आता है जिसमें इसकी उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से बताई जाती है। वहीं इस दिव्य वृक्ष में कई औषधीय गुणों के साथ-साथ कई दिव्य चमत्कारिक गुण भी विद्यमान होते हैं जिससे कई प्रकार के गंभीर रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं यही वजह है कि लोग बेल वृक्ष को पूजनीय मानते हैं और इसकी विशेष रूप से पूजा अर्चना भी करते हैं जिससे उनके कई प्रकार के कष्ट और कई प्रकार की बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं वहीं दिलवा अष्टक स्रोत के अनुसार इसका एक अनोखा प्रसंग देखने को मिलता है जिसमें बेल ब्रिज के दर्शन और इस वृक्ष के स्पर्श मात्र भर से सभी प्रकार के दुखों का निवारण हो जाता है।

 

बेल वृक्ष के हर भाग में देवी-देवताओं का होता है वास:-

 

बेल ब्रिज से से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बेल के पेड़ की जड़ में गिरजा का वास होता है वही  पेड़ के तनों में माहेश्वरी का वास होता है वही शाखाओं में दक्षिणी और पत्तियों में मां पार्वती का वास होता है वही बेल ब्रक्ष  के  फलों में कात्यायनी माता वहीं फूलों में गौरी और बेल के समस्त पेड़ में धन्य- धन्य को बढ़ाने वाली मां लक्ष्मी जी का निवास होता है इन्हीं मान्यताओं के अनुसार बेल वृक्ष सभी वृक्षों में सबसे उत्तम और पूजनीय वृक्ष माना जाता है ।

 

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