2023,तमिलनाडु के जल्लीकट्टू खेल को सुप्रीम कोर्ट ने बताया जायज, राज्य सरकारों को दिए कड़े निर्देश:-जल्लीकट्टू, कबाला, बुलक कार्ट जैसी दौड़ प्रतियोगिता को जब 2014 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस पर तमाम तरह के प्रश्न चिन्ह खड़े किए गए थे और सेफ्टी यानी जानवरों की सुरक्षा को लेकर, और इस प्रतियोगिता में संभावित खतरे को भागते हुए जो निर्णय लिए गए थे उन पर हाल ही में कर्नाटक तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इन पर सुधार प्रक्रिया और इन पर सेफ्टी की अधिक गारंटी, और इस खेल की लोकप्रियता को और अधिक पारदर्शिता बनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे पूरी तरह से हरी झंडी दे दी है।
यानी कि अब आने वाले समय में इस तरह की खेल प्रतियोगिता यानी बैलों की दौड़ जिसे जल्लीकट्टू अंबाला और बैलगाड़ी दौड़ के रूप में जाना जाता है इसको राज्य पूरी तरह से चालू रख सकती हैं और लोगों के इस धार्मिक सांस्कृतिक खेल को पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जायज ठहराया गया है जिससे कि कर्नाटक और तमिलनाडु की जनता में एक खुशी की लहर दौड़ चुकी है कई जगहों पर लोगों ने इस इस तरह के फैसले आने के बाद खुशी जाहिर की और कई जगहों पर तो कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए गए।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें राज्य सरकार: –
सुप्रीम कोर्ट ने जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को 2014 में ही यह कहकर इस प्रतियोगिता पर विराम लगा दिया था की जानवरों और लोगों की सेफ्टी को प्राथमिकता यदि नहीं दी जाती तो इस तरह के खेल यानी जल्लीकट्टू कम वाला और बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता को पूरी तरह से इन राज्यों को बंद करना पड़ेगाl लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की तरफ से उठाए गए ठोस कदम और इसमें और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के बाद लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जब इस पर अमल किया तो सुप्रीम कोर्ट ने इस खास सांस्कृतिक प्रतियोगिता को वैध करार देते हुए इसको तमिलनाडु कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसे हरी झंडी दे दी है जिससे कि करोड़ों लोगों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई l
जल्लीकट्टू ,बैलगाड़ी दौड़ पूरी तरह से कानूनन सही है सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश:
सुप्रीम कोर्ट का जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो काले दिशानिर्देश तमिलनाडु महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों को दिए गए थे उस पर 100 फ़ीसदी इन राज्यों ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ इस तरह के जल्लीकट्टू बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिता में नासिर केवल जानवरों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है बल्कि लोगों की भी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस खेल के नियम कानून में कई तरह के छोटे बदलाव की जिससे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे कानूनी वैधता अब दे दी है।
तमिलनाडु महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार को मिली बड़ी राहत: –
2014 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस जल्लीकट्टू, विवाद को लेकर कई राज्यों ने जो आपत्ति जताई थी उस पर तमिलनाडु और कर्नाटक की सरकार राज्य सरकारों ने लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का केंद्र इस खेल प्रतियोगिता में कुछ अहम बदलाव की जिससे कि जानवरों की सुरक्षा और लोगों की भी सुरक्षा पूर्णतया सुनिश्चित हो पाई है, और इसको पूर्णतया हरब हरी झंडी दे दी गई है अर्थात अब तमिलनाडु कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सांड और बैलों की दौड़ प्रतियोगिता जिसे जल्लीकट्टू कहा जाता है यह पूर्णतया सही और जायज है, जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी तमिलनाडु महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य की सरकारों को एक बड़ा राहत देने का काम किया हैl