2023 रक्षाबंधन कब है | Rakshabandhan kab hai? राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और सही समय जाने: –

Rakshabandhan 2023 Date and Time:

2023 रक्षाबंधन कब है | Rakshabandhan kab hai? राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और सही समय जाने: – भाई- बहनों के प्रेम का अटूट त्यौहार रक्षाबंधन भारत में सदियों से बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। भारत में ही नहीं बल्कि अब तो कई अन्य देशों में भी रक्षाबंधन के त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार प्रमुख रूप से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इसलिए इस राखी के पर्व को राक्ष भी कहा जाता है वही इसे श्रावणी या सलूनो जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। यदि बात करें भारत के अलग-अलग प्रांतों और भारती संस्कृत की अनूठी रीति रिवाज और बोलचाल की भाषा से तो इसे जहां दक्षिण में नारियय पूर्णिमा, कहा जाता है तो वही भारत के दक्षिण मध्य राज्य प्रांतों में इसे बलेव और अवनी (अवित्तम) जैसे पर्व के रूप में जाना जाता है ,वही यदि बात करें राजस्थान की तो यहां पर राखी पर्व को लोग राम राखी और (चूडा राखी)  नाम से जाना जाता है।

इसके साथ-साथ भारत की उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और उत्तरांचल उत्तराखंड जैसे राज्यों में इसे राखी पर्व के रूप में जाना जाता है। 

रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र रिश्तो का त्यौहार है जिसका वर्णन प्राचीन काल से वेदों उपनिषदों में भी मिलता है l प्राचीन काल में रक्षाबंधन त्योहार को मनाने के लिए पहले सूत के धागे का प्रयोग होता था फिर धीरे-धीरे राखी के रूप में परिवर्तन आता गया, कुछ समय बाद यह रेशम के पक्के धागे पर सॉफ्ट फोन (सोखता) से सुंदर फूलों की आकृति को आपस में चिपका कर एक सुंदर चित्रण के साथ इसको बनाया जाने लगा जिसे हम सभी राखी के नाम से जानते हैं वहीं वर्तमान समय में राखी के कई अलग रूप देखने को मिलते हैं जिसमें रेशम के चमकीले सूत्त (धागे) के ऊपर कई तरह की क्रिस्टल मोती और नव को चिपका दिया जाता है जोकि देख देखने में बेहद आकर्षक और सुंदर दिखते हैं वहीं अब तो सोने और चांदी जैसी महंगी धातुओं से बनी राखी भी मार्केट में आने लगी है l

 

रक्षाबंधन कब है? सही Date तारीख और दिन जाने:-

 

रक्षाबंधन का पावन पर्व हर वर्ष श्रावण महीने में आता है, और इस बार यानी अगस्त 2023 श्रावण महीने में पूर्णिमा की ज्योति थी बताई जा रही है वह 30 तारीख और 31 तारीख को हिंदू पंचांग के अनुसार बताया जा रहा है ऐसे में मन में यह प्रश्न जरूर उठता है कि आखिर रक्षाबंधन का सही समय दिन और तारीख क्या होगी? तो ऐसे में आपको बताते चलें कि हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रवण की पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार को प्रातः 10:59 से प्रारंभ हो जाएगा और यह शुभ नक्षत्र पूर्णिमा की तिथि का समय रात्रि 9:00 बजे से पहले तक पूर्णिमा का समय होगाl इसी तिथि तारीख को भारत में रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। इसके बाद का समय भद्रा काल का होगा और ऐसे में कोई भी बहन अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बन सकेगी ऐसा ज्योतिष शास्त्र के विद्वान पंडितों द्वारा बताया जा रहा है।

 

रक्षाबंधन का सही समय और शुभ मुहूर्त:-

 

 रक्षाबंधन का पावन पर्व इस साल कई शुभ योग लेकर आ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदू पंचांग में इस बार सावन महीना 59 दिनों का होने जा रहा है ऐसे में कई दुर्लभ और बेहद खास संयोग बन रहे हैं जो कि जातकों के जीवन में कई आमूलचूल और सकारात्मक परिवर्तन लेकर आ रहे हैं। भारत में इस वर्ष पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023  को pad  रही है इसके बाद भद्राकाल शुरू हो जाएगा और सबसे बड़ी बात यह है कि भद्राकाल को अशुभ मुहूर्त माना जाता है, और इसमें बहनों को अपने भाइयों को कभी भी राखी नहीं बांधी चाहिए। भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण के महीने में पूर्णिमा 30 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रही है, जिसमें पूर्णिमा का प्रारंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10:59 से शुरू हो जाएगा और पूर्णिमा का समय रात्रि को 9:00 बजे से पहले  तक रहेगा ऐसे में, यही शुभ मुहूर्त होगा जिसमें बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। इसके बाद भद्राकाल शुरू हो जाएगा और भद्राकाल में राखी बांधना पूरी तरह से वर्जित होगा। वही यदि बात करें धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तो भारतीय पंडितों और शास्त्रों के विद्वानों द्वारा राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और सही समय दोपहर का माना जाता है इसलिए 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार को यदि देखा जाए तो बहनों के लिए राखी बांधने का सबसे सही समय दोपहर 2:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 के बीच बेहद शुभ बताया जा रहा है।

 

रक्षाबंधन से जुड़ी कहानी और सबसे प्राचीन लोकप्रिय कथा:-

 

भारत में पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में एक राजा बलि हुआ करते थे जिन्होंने एक बार अश्वमेध यज्ञ करने का संकल्प लिया। राजा बलि बहुत थी दानी थे भगवान ने उनकी परीक्षा लेनी चाहिए और भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि के पास अथाह संपत्ति और धन था ऐसे में राजा बलि ने वामन vaman  भगवान को पहचान नहीं पाए और उन्होंने उनकी यह शर्त स्वीकार कर ली और उन्हें तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया l लेकिन देखते ही देखते वामन रूपी भगवान विष्णु जी का आकार बढ़ने लगा और उन्होंने मात्र दो पग में ही सब कुछ यानी धरती और आकाश को नाप लिया। इसके बाद उन्होंने तीसरे भग्गू को बढ़ाना चालू किया और उन्होंने राजा बलि से कहा कि हे राजन अब तो आपके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है अब आप अपनी शर्त कैसे पूरी करोगे ऐसे में राजा बलि ने स्वयं को ही भगवान विष्णु को सौंप दिया और उन्होंने विष्णु जी से कहा कि आप हमारी इस शरीर को नाप लो l

वामन रूपी भगवान विष्णु ने राजा बलि के इस समर्पण और त्याग की भावना से बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा बलि से एक वरदान मांगने के लिए कहा, राजा बलि भगवान विश्व से बोले कि भगवान यदि आप मुझ पर कृपा रखते हैं तो मुझे यह वरदान दे कि मैं जब भी देखूं सिर्फ आपके ही रूप को  देखूं तब भगवान ने तथास्तु कहकर उनको यह वरदान दे दिया और इसके बाद विष्णु भगवान पाताल लोक में ही रहने लगे इस पर माता लक्ष्मी जी को बेहद चिंता हुई और वह उसी समय भगवान विष्णु को पाताल लोक से लाने के लिए बेहद चिंतित होकर सोचने लगी इतने में देवर्षि नारद प्रकट हुए उन्होंने मां लक्ष्मी को एक उपाय बताया कि यदि आप राजा बलि को अपना भाई बना ले तो आप अपने स्वामी को वापस पा सकेंगी। इसके बाद माता लक्ष्मी एक स्त्री का वेश धारण करके रोती हुई पाताल लोक में राजा बलि के पास पहुंची जब राजा बलि ने एक स्त्री को रोते हुए देखा तो उन्होंने उनसे रोने का कारण पूछा इसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है इसलिए मैं अत्यंत दुखी हूं तब राजा बलि ने उनसे कहा कि तू मेरी धर्म बहन बन जाओ मैं आपकी हर प्रकार से रक्षा करूंगा। इसके बाद माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपने स्वामी भगवान विष्णु को वापस राजा बलि से मांग लिया तभी से यह रक्षाबंधन का पावन त्यौहार मनाया जाने लगा।

 

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