15 साल पहले इस घर में रहते थे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री: फर्श से अर्श तक की पूरी कहानी आओ जानें:-

 

 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रारंभिक जीवन: –

 

बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने जीवन में कई सारे संघर्षों और जीवन की उठापटक रास्तों से होते हुए आज इस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि उनके नाम की चर्चा विदेशों में भी होने लगी है। यदि बात करें धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के सादगी भरे जीवन की तो उनका जन्म 4 जुलाई 1986 को छतरपुर जिले के बड़ा गांव में हुआ था।  

शुरू से ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तीव्र प्रखर बुद्धि वाले होनहार बालक थे उनका प्रारंभिक जीवन अपने गांव गढ़ा में ही बीता। यदि बात करें उनके परिवार की तो उनका परिवार बेहद ही गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर था l 

इतना ही नहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने प्रारंभिक जीवन की कई सारी कहानियां जो अपने भक्तों को सुनाते हैं तो लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं, क्योंकि कई बार तो उनको ऐसे ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा कि खुद को उन लम्हों को याद करके उनका गला भर आता है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पहले अपनी इस छोटी सी कुटिया जो कि घास -फूस और तिनके के माध्यम से बांस के डंडों के सहारे बनाई गई थी इसी में रहते थे l इतना ही नहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रारंभिक जीवन जिस घर में बीता वह पूरी तरह से मिट्टी का बना हुआ था और उसमें भी धान के पौधे के तनको और घास -फूस और बस के टुकड़ों के सहारे छप्पर वाले घर में ही वह रहा करते थे।

 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा: – 

 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव गढ़ा के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इसके अलावा उनके पिता और उनके दादाजी का उनकी शिक्षा में प्रमुख रूप से योगदान रहा जिनकी छत्रछाया में उन्होंने कई प्रकार की वैदिक और शास्त्रीय शिक्षा दीक्षा उनसे सीखी। अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी अपने कथा प्रवचन में भी कई बार अपनी दयनीय स्थिति और गरीबी का जिक्र कर चुके हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रारंभिक बचपन बड़ी कठिनाइयों और उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी से शुरू हुआ।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के यदि विद्यार्थी जीवन की गुरुकुल वाली पढ़ाई की बात करें तो वह कई बार उनको आप पर्वतों पर तपस्या करते हुए और घनघोर वनों में तब करते हुए उनकी पुरानी वीडियो Vedio के माध्यम से भी आज की डेट में भी देख सकते हैं। अपने योग्य माता पिता और गुरुजनों की देखरेख में उन्होंने योग विद्या का भी आभार अभ्यास किया और इतना ही नहीं उन्होंने कई बात प्रकृति के बीच रहकर जप- तप ध्यान करना भी बाहरी एकांत दुनिया में ही सीखा।

 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के माता- पिता का नाम: –

 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और उनकी मां का नाम सरोज गर्ग है

अपने जीवन की कठिन और कटीले भरे रास्तों से आगे बढ़ते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक धार्मिक तीर्थ स्थल पर बागेश्वर धाम सरकार के मुख्य पुजारी के रूप में उस समय चर्चा में आए जब उन्होंने बागेश्वर धाम का उद्गम लोगों के दृढ़ विश्वास और भरोसे पर बागेश्वर धाम का निर्माण भूत भवन महादेव गड़ा में स्थापित किया। यह बागेश्वर धाम चंदेल कालीन सिद्ध पीठ है ,जो कि 1986 में ग्रामीणों द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया। 1987 के बीच इस गढ़ा गांव के बाबा पंडित सेतु लाल गर्ग चित्रकूट से उन्होंने दीक्षा प्राप्त करके बागेश्वर धाम पहुंचे जिसके बाद उन्होंने 1989 में एक बड़ा यज्ञ किया जिसके बाद से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री प्रसिद्ध हुए।

 

एकाएक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इतने प्रसिद्ध कैसे हुए?

 

धीरेंद्र प्रसाद शास्त्री हनुमान जी बालाजी के परम भक्त हैं और वह अपने यहां आए हुए, सभी भक्तों के दुख दर्द दूर करने के लिए हनुमान जी से आशीर्वाद लेकर उनके दुखों और संकटों को हनुमान जी की कृपा के आधार पर उनके संकटों को दूर करते हैं। हनुमान जी और बालाजी की कृपा लोगों पर ऐसी होती है कि उनके जो दुख दर्द कोई नहीं दूर कर सकता वह यहां बागेश्वर धाम में आकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है यहां तक कि उनके सभी प्रकार के कष्ट पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं यही आस्था और विश्वास के दम पर लोग धीरे-धीरे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जुड़ते गए और वर्तमान समय में मीडिया यूट्यूब के माध्यम से भी उनकी ख्याति देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग उनके चमत्कार के गुण गाते हैं। लेकिन कुछ लोग जो कि नास्तिक और ईश्वर में विश्वास नहीं मानने वाले हैं उन्होंने बागेश्वर धाम और हनुमान की शक्तियों को संदेह की दृष्टि से देखते हुए उन पर कई प्रकार के आरोप लगाएl

 

अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने शास्त्री पर लगाए आरोप:-

 

 यह मामला उस समय सामने आया जब नागपुर की अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें दिव्य दरबार में चुनौती दी और उनकी आध्यात्मिक शक्तियों पर यह सवाल उठाया कि यदि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इतना ही शक्ति है तो वह हमारे यहां पर आकर अपने चमत्कार दिखाएं और यदि उनकी चमत्कारिक सिद्धियां सिद्ध हो जाती हैं तो हम उन्हें सही और सच मान लेंगे इसके अलावा श्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने यह भी आरोप लगाया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं इसके खिलाफ उन्होंने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू टोना अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही भी कर दी है l

 

यह बात जब मीडिया में फैली और लोगों के बीच वायरल हुई तो धीरे-धीरे यह विवाद बढ़ता ही गया और लोग यह जानने के लिए उत्सुक हुए की क्या या वाकई में जो उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं वह सच है या फिर झूठ इसी खोज में मीडिया कर्मी लग गए और आज यह विवाद इतना बढ़ गया कि भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में यह प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है आज करोड़ों लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चर्चित अंजा अंदाज और उनकी दिव्य शक्तियों को देखकर उनके योग शिक्षा दीक्षा की प्रशंसा तारीफ कर रहे हैं वहीं कुछ लोग उनके द्वारा इस प्रकार की विद्या का प्रदर्शन के खिलाफ है लेकिन कई मामलों में यदि देखा जाए तो बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यहां तक कहा है कि ना तो वह किसी से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं और ना ही वह किसी से किसी प्रकार की धनराशि वसूलते हैं जिसके आधार पर उन को टारगेट किया जा रहा है। 

 

लेकिन जिस तरह से उनके विपक्षी नागपुर अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने उन पर कड़े आरोप लगाए हैं उसके खिलाफ हिंदू संगठन ने भी अब अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है उन्होंने कहा कि सभी धर्मों को अपने विधि विधान से कर्म करने का अधिकार है और किसी भी एक धर्म को टारगेट करना और उस पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना यह पूरी तरह से गलत और  अप्रासंगिक हैl

 

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